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बाल विवाह उन्मुलन हेतु राज्य के सभी जिलों से नामित नोडल सी.डी.पी.ओ. के लिए बाल विवाह रोकथाम एवं निषेध विषय पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजन




पटना/26 जुलाई, 2024, महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा बाल विवाह उन्मूलन के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों से नामित नोडल बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के लिए "बाल विवाह रोकथाम एवं निषेध" विषय पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन निगम के प्रशासनिक अधिकारी, श्रीमती मिशा रंजीत सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। उन्होंने बताया कि "बाल विवाह हमारे समाज की एक गंभीर समस्या है, जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में बाधक है। इसे रोकने के लिए हमें सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है । 


 

यूनाइटेड नेशंस वॉलंटियर की श्रीमती रश्मी कुमारी ने प्रस्तुतीकरण और एक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से पूर्व आकलन और बाल अधिकार परिप्रेक्ष्य के विषय पर एक महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने बताया कि बच्चों के अधिकार क्या हैं, उन्हें कैसे पहचानें और उनके संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में, उन्होंने बाल अधिकारों के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों का भी उल्लेख किया, जो बच्चों के हितों की रक्षा करते हैं और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सही जानकारी और संसाधनों के माध्यम से, हम सभी बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकते हैं और उन्हें सुरक्षित और सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने जेजे एक्ट और बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यू.एन.सी.आर.सी.) के बारे में भी चर्चा किया।




सीपी सलाहकार, श्रीमती ऋचा बख्शी ने प्रस्तुतीकरण और वीडियो के माध्यम से अर्ली चाइल्ड मैरिज में लिंग और उसकी भूमिका पर महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने इस विषय पर जोर दिया कि कैसे लिंग भेदभाव और पारंपरिक धारणाएं बाल विवाह को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि लिंग असमानता के कारण न केवल किशोरियों के शैक्षणिक और स्वास्थ्य अवसर सीमित होते हैं, बल्कि इससे समाज में व्यापक असंतुलन भी उत्पन्न होता है। इस चर्चा के माध्यम से उन्होंने समाज में लिंग समानता को बढ़ावा देने और बाल विवाह की समस्या को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने किशोर और किशोरियों के डिफरेंट जेंडर रोल के बारे में चर्चा किया जिसमें जेंडर नॉर्म्स, जेंडर संबंध, जेंडर समाजीकरण के बारे में बताया । कार्यक्रम के दौरान समाज में व्याप्त जेंडर नॉर्म्स पर आधारित एक फिल्म "गर्ल एंड बॉय" के माध्यम से सभी प्रतिभागियों का संवेदीकरण किया गया ।




यूनिसेफ की चाइल्ड प्रोटेक्शन पदाधिकारी श्रीमती गार्गी साहा ने बाल विवाह पर प्रकाश डालते हुए फिल्म, प्रस्तुतिकरण और प्रतिभागियों के साथ चर्चा के माध्यम से वैश्विक और भारतीय संदर्भ में बाल विवाह की सांख्यिकी को समझाया । उन्होंने बिहार राज्य के सन्दर्भ में क्षेत्रीय डेटा के विश्लेषण के माध्यम से इसके कारणों और परिणामों पर चर्चा किया । इस चर्चा में उन्होंने बाल विवाह के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर रोशनी डाला और इसके बाल विवाह उन्मूलन के उपायों पर विचार-विमर्श किया। 




यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन सलाहकार, श्री शाहिद जावेद और सहायक प्रोफेसर, श्रीमती खुशबू प्रसाद, एमिटी लॉ स्कूल ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से कानूनी ढाँचा और नीतियों पर चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से पी.सी.एम.ए. 2006 और बिहार राज्य नियमावली 2010 पर विस्तार से प्रकाश डाला। इनके प्रेजेंटेशन में इन कानूनों के विभिन्न पहलुओं और उनके अनुपालन के महत्व को रेखांकित किया । उन्होंने इस विषय पर प्रतिभागियों के समझ विकसित करने के उद्देश्य से इन नीतियों के प्रभाव और उनके व्यावहारिक क्रियान्वयन पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए । 

निगम के निदेशक श्री राजीव वर्मा ने बाल विवाह उन्मूलन विषय पर प्रशिक्षित प्रतिभागियों के द्वारा अधिक से अधिक जन-जागरूकता के उम्मीद के साथ सभी प्रतिभागियों एवं इस विषय के जानकारों का आभार व्यक्त किया ।