सिवान। चिकित्सक को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है कई बार आंखों के सामने चिकित्सकों के प्रयास से कुछ ऐसा चमत्कार हो जाता है जो असंभव सा होता है ऐसा ही कुछ पिछले दिनों हुआ जब हमारे एक परिचित व्यक्ति नश रोग से पीड़ित होने के कारण चलने फिरने में असमर्थ थे। #सिवान के चिकित्सक के बारे में पता चला फोन पर बातचीत हुई हमने अनुरोध किया मरीज आर्थिक रूप से कमजोर थे। इलाज प्रारंभ हुआ किसी प्रकार का कोई ऑपरेशन नहीं हुआ और 4 से 5 दिनों में मरीज चलने लगे अब पूरी तरह ठीक है। जिस चिकित्सक ने यह कमाल किया वह बधाई के पात्र है।इन दिनो सिवान शहर में #हड्डी, #नस रोग ,#गठिया रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनीत रंजन की चर्चा खूब है इनके पास इलाज करने के लिए पूरे बिहार के जिला तथा भारत कई राज्य और नेपाल देश से भी मरीज भारी तादाद में आ रहे हैं उनके पास आने वाले मरीजों में ऐसे मरीज हैं जो वर्षों से अपने ला इलाज हो चुके रोग से परेशान थे और मान बैठे थे कि अब उसका इलाज नहीं है।
सिवान जिले के सुप्रसिद्ध डॉक्टर सुनीत रंजन जो की नस रोग , हड्डी रोग , गठिया रोग , एवं घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञ हैं डॉक्टर साहब अपने खास तकनीक के कारण पूरे बिहार तथा उत्तर भारत में नस रोग तथा गठिया रोग के इलाज के लिए चर्चित है निम्नलिखित तकनीक के द्वारा बीमारियों का इलाज करते हैं नस रोग पीपीबी Pain पोर्टल ब्लॉक के द्वारा ,डिस्क प्रॉब्लम, सायटिका, गठिया का इलज मेजर autohaemotherapy के द्वारा हेमेटोफी एम ए एस टी के द्वारा ट्रेडीशन तथा घुटने का दर्द का इलाज ओजोन टेक्नोलॉजी के द्वारा , Tendinitis का इलाज prolo technology के द्वारा करते है यह सब तकनीक अभी भारत के कुछ ही जगह है इसमें ऑपरेशन के जरूरत नहीं पड़ती है अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती है कुछ बेसिक ब्लड का टेस्ट कर के इलाज किया जाता है डॉक्टर सुनीत रंजन ने ऐसे सैकड़ो मरीजों को चलने लायक बना दिया जो कि चलने लायक नहीं थे.इसके लिए इनको #बिहार के #राज्यपाल से हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड मिला तथा #उपमुख्यमंत्री से हेल्थ आइकॉन अवार्ड भी।
बिहार के युवा चिकित्सकों में डॉक्टर सुनीत रंजन ने अल्प समय में ही अपनी उत्कृष्ट सेवा से बड़ा नाम कमाया है एक सवाल के जवाब में डॉक्टर सुनीत रंजन कहते हैं कि चिकित्सा सेवा सिर्फ पैसा कमाने का माध्यम नहीं बल्कि प्रीत #मानवता की सेवा है वे सेवा में इसलिए आए हैं कि बिहार के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बेहतर सेवा कर सके। इसी कारण पटना जैसे बड़े शहरों को छोड़कर उन्होंने सिवान जैसे शहर को चुना जो उनके गृह जिला भी है।
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