- नवजात के स्वस्थ व सेहतमंद जिंदगी की बुनियाद है स्तनपान
- स्तनपान की मदद से नवजात मृत्यु संबंधी मामलों में 20 फीसदी तक की कमी संभव
- जन्म से 06 माह की अवधि तक बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये केवल स्तनपान जरूरी
अररिया, 20 फरवरी ।
Son of Simanchal Gyan Mishra
स्तनपान शिशुओं के मूलभूत पोषण की जरूरतों को पूरा करता है। नवजात को गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिहाज से भी स्तनपान बेहद महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अगर बच्चा जन्म के उपरांत मां का दूध पीने में किसी तरह की आनाकानी करता तो यह बच्चे के रोगग्रस्त होने का संकेत है। इसे गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श पर बच्चे का इलाज जरूरी होता है। जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। स्तनपान से नवजात में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास होता है। आधुनिक परिधान व बदलते परिवेश में स्तनपान के महत्व को दरकिनार किया जा रहा है। जो बेहद चिंताजनक है।
जन्म के तुरंत बाद केवल 30 फीसदी बच्चे करते स्तनपान शुरू
वर्ष 2019-20 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़ों के मुताबिक जिले में जन्म के एक घंटे के भीतर 30 फीसदी बच्चों को स्तनपान कराया जाता है। वहीं 69 प्रतिशत बच्चों को जन्म के छह माह की अवधि तक केवल स्तनपान कराया जाता है। 06 माह से 08 माह तक के 35।9 फीसदी बच्चे स्तनपान के साथ उपयुक्त ऊपरी आहार का सेवन करते हैं। वहीं स्तनपान करने वाल 06 से 23 माह के 13।9 फीसदी बच्चों को ही जरूरी पोषाहार मिल पाता है। जबकि स्तनपान नहीं करने वाले 10।7 फीसदी बच्चों को उचित पोषाहार मिलता है।
स्तनपान से बच्चों को होता है सर्वांगीण विकास
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि मां का दूध नवजात के शारीरिक व मानसिक विकास को गति प्रदान करता है। वहीं ये डायरिया, निमोनिया व कुपोषण संबंधी बीमारियों से भी नवजात का बचाव करता है। सिविल सर्जन ने कहा कि केवल स्तनपान से बाल मृत्यु संबंधी मामलों में 20 फीसदी तक की कमी संभव है।
बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान कराने से दस्त संबंधी मामलों में 11 फीसदी व निमोनिया संबंधी मामलों में 15 फीसदी तक कमी संभव है। ये बच्चों की बुद्धिमता बढ़ाने व महिलाओं को कई गंभीर रोग के प्रभावों से भी मुक्त रखता है।
बच्चों को छह माह तक करायें केवल स्तनपान
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मोईज ने बताया कि जन्म के पहले 06 महीनों में मां का दूध शिशु को सभी जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। जो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये जरूरी है। इसलिये नवजात को 06 माह तक केवल स्तनपान की सलाह दी जाती है। उन्हें अन्य तरल पदार्थ यहां तक की पानी भी नहीं पिलाना चाहिये। उचित पोषण के नियमित स्तनपान से बच्चों का भावनात्मक, मनौवैज्ञानिक व मानसिक विकास होता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिये स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष स्तनपान कक्ष बनाया गया है। सदर अस्पताल व सभी प्रथम रेफरल इकाई को दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित किया गया है। इसके अलावा विभागीय स्तर से नियमित अंतराल जागरूकता संबंधी गतविधियों को आयोजन किया जाता है।