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बुखार के साथ दाना की शिकायत होने पर संबंधित मामले की रिपोर्टिंग जरूरी पोलियो व एमआर उन्मूलन अभियान की मजबूती के लिये कार्यशाला आयोजित





अररिया, 27 अक्टूबर ।

Son of Simanchal Gyan Mishra 

पोलियो के संभावित खतरों से बचाव के साथ-साथ वर्ष 2023 तक खसरा-रूबेला उन्मूलन संबंधी लक्ष्य प्राप्ति को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न स्तरों पर जरूरी पहल की जा रही है. इसे लेकर लोगों को विभिन्न स्तर पर जरूरी स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले लोगों को संवेदनशील बनाया जा रहा है. गंभीर रोगों की रोकथाम व उन्मूलन के प्रयासों में ग्रामीण चिकित्सक, लोकल प्रैक्टिशनर व विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिनियुक्त चिकित्सकों का क्षमता संवर्द्धन की कोशिशें जारी हैं. इसी कड़ी में वीपीडी सर्विलांस वर्कसॉप का आयोजन सदर अस्पताल सभागार में किया गया. 




कार्यशाला में अस्पताल अधीक्षक डॉ राजेंद्र कुमार, डीआईओ डॉ मोईज, यूएनडीपी के वीसीसीएम शकील आजम, डीसीएम सौरव कुमार, डीपीसी राकेश कुमार सहित सभी पीएचसी के प्रभारी चिकित्का पदाधिकारियों ने भाग लिया. 

रोग उन्मूलन के प्रयास में सभी का सहयोग अपेक्षित 

कार्यशाला की जानकारी देते हुए डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने बताया कि देश में वर्ष 2023 तक खसरा-रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है. इस महत्वपूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति के लिये विभिन्न स्तरों पर लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सेवा प्रदान करने वाले लोगों का सामुहिक सहयोग व समर्थन जरूरी है. उन्होंने बताया कि खसरा-रूबेला अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये बुखार के साथ दाना संबंधी शिकायत वाले सभी मरीजों की रिपोर्टिंग जरूरी है. इससे जु़डे लक्षण वाले मरीजों को तत्काल चिन्हित करते हुए समुचित जांच व प्राप्त रिपोर्ट के आधार उचित चिकित्सकीय कदम उठाना रोग उन्मूलन की दिशा में प्रभावी साबित हो सकता है. 

फिलहाल पोलियो का कोई मामला नहीं, खतरा बरकरार 

डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने बताया हमारा देश पूर्व में ही पोलियो मुक्त हो चुका है. लेकिन पोलियो का खतरा अभी भी बरकरार है. पोलियो से जुड़े लक्षण वाले दर्जनों मरीज हर साल मिलते हैं. जिले में बीते कुछ सालों से पोलियो को कोई मामला सामने नहीं आया है. हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान व अफगानिस्तान में पोलियो के मामले सामने आये हैं. 




इसके अलावा अफ्रीका का मोजांबिक भी अब तक पोलियो से प्रभावित है. लिहाजा पोलियो संक्रमण का खतरा अभी भी बरकरार है. इसलिये इससे संबंधित लक्षण वाले मरीजों को तत्काल चिह्नित कर रिपोर्टिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. ताकि समय रहते जरूरी चिकित्सकीय पहल सुनिश्चित कराया जा सके.