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सही समय तक उचित दवाओं के सेवन से टीबी से पूर्णत: निजात पाना संभव



  • सही समय तक उचित दवाओं के सेवन से टीबी से पूर्णत: निजात पाना संभव
  • टीबी के प्रकार से तय होती है उपचार की अवधि, निर्धारित अवधि तक दवा सेवन जरूरी
  • उपचार के दौरान उच्च प्रोटीन युक्त आहार के सेवन से टीबी से जल्द उबरने में मिलती है मदद
अररिया, 04 अक्टूबर ।

Son of Simanchal Gyan Mishra 

टीबी आज भी बेहद संक्रामक रोगों की सूची में शामिल है. दुनिया में टीबी के कुल मरीजों में 26 फीसदी मरीज भारत में हैं. टीबी की वजह से मरीजों की कार्यक्षमता व उत्पादकता प्रभावित होती है. इससे परिवार व समाज का विकास प्रभावित होता है. लिहाजा वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का महत्वकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे लेकर हर स्तर पर जरूरी पहल की जा रही है. टीबी मरीजों की खोज, उपचार व विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने संबंधी कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूरे किये जा रहे हैं. साथ ही रोग के कारण, बचाव व उपचार संबंधी सुविधाओं को प्रति जन जागरूकता फैलाने का प्रयास भी जारी है. 

टीबी के प्रकार से तय होती है उपचार की अवधि -

टीबी के पूर्ण इलाज के लिये रोगी को कम से कम 06 महीने तक नियमित रूप से दवा का सेवन करना चाहिये. सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि टीबी के प्रकार के आधार पर उपचार की ये अवधी लंबी भी हो सकती है. इसलिये विशेषज्ञ चिकित्सकों के सुझाव के आधार पर दवा की कोर्स पूरा करना जरूरी होता है. टीबी के जीवाणु माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस का विकास धीमा होता है. ये बहुत धीरे-धीरे विभाजित होता है. महज संक्रमण से टीबी रोग तक बढ़ने में इसे काफी वक्त लगता है. इसलिये टीबी बीमारी के उपचार की अवधि लंबी होती है. 

बिना रुकावट उचित अवधि तक करें दवा का सेवन 

जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि अक्सर उपचार की अवधि के दौरान दवा सेवन में रुकावट या तबीयत थोड़ी ठीक होने के बाद दवा का सेवन बंद कर देने की शिकायतें सामने आती हैं. उन्होंने बताया दवा बीच में छोड़ देने के कारण रोग और भयावह रूप धारण कर लेता है. इस कारण इलाज संबंधी जटिलाएं भी बढ़ जाती हैं. इसलिये टीबी के पूर्ण उपचार में सही समय तक उचित दवाओं का सेवन जरूरी होता है. 



दवा बीच में छोड़ देने के कारण इसके पुनरावृति की अधिक संभावना होती है. उन्होंने बताया कि टीबी से पूरी तरह ठीक हो चुके मरीज भी दोबारा टीबी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. अल्पपोषण, धूम्रपान व शराब का सेवन करने वाले व अनियंत्रित मधुमेह से ग्रसित मरीजों में इसका खतरा अधिक होता है. 

दवा सेवन में किसी तरह की लापरवाही खतरनाक-  

जिला टीबी समन्यक व निक्षय मित्र योजना के नोडल अधिकारी दामोदर शर्मा ने बताया फिलहाल जिले में 2584 इलाजरत मरीज हैं. उन्होंने कहा कि बिना रुकावट सही अवधि तक उचित दवाओं के सेवन से टीबी से पूरी तरह निजात पाना संभव है. लेकिन सही से दवा का सेवन नहीं करने पर ये मरीजों की मौत का कारण भी बन सकता है. उन्होंने बताया कि उच्च प्रोटीन युक्त आहार उपचार के दौरान होने वाले प्रतिकुल प्रभाव को कम करने में मददगार है. इसलिये पंजीकृत व अधीसूचित टीबी मरीजों को सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से प्रदान किया जाता है. वहीं जिले के पंजीकृत 88 निक्षय मित्रों द्वारा कुल 202 मरीजों को जरूरी चिकित्सकीय व पोषाहार संबंधी सेवा उपलब्ध कराये जाने की जानकारी उन्होंने दी.