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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर लोक पंच की प्रस्तुति बाल विवाह



कथासार :

पारंपरिक गीत संगीत एवं हास्य से भरपूर इस नाटक की शुरुआत छोटे बच्चों के खेलने से होता हैं जिसमें मुनिया नाम की एक बच्ची भी है जो बकरी चराती है,बाकी बच्चों की तरह मुनिया भी पढ़ना लिखना चाहती है, स्कूल जाना चाहती है, पर मुनिया के माता-पिता यह सोचते हैं की जितनी जल्दी हो सके एक लड़का खोज कर बेटी का हाथ पीला कर दिया जाए।



पंडित जी के माध्यम से एक लड़का खोज कर शादी की तैयारी करते हैं। मुनिया के बार-बार मना करने के बाद भी उसके माता-पिता नहीं मानते और बच्ची को शादी के मंडप पर बिठा देते हैं। रिश्तेदार और गांव के लोग शादी में शामिल होने के लिए उपस्थित रहते हैं और शादी शुरू हो जाती है। 


इसी बीच एक सामाजिक कार्यकर्ता आता है और उन्हें समझाता है कि यह बाल विवाह अपराध है और आप सभी को सजा हो सकती है। व्यक्ति के समझाने के बाद लड़की के माता-पिता एवं गांव के लोगों को समझ में आता है, और शादी को रोका जाता हैं।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर यह थी लोक पंच की प्रस्तुति।

 कलाकार :

समाजसेवी : मनीष महिवाल 
पिता : रजनीश पाण्डे 
बेटी : सोनल कुमारी 
पंडित : रोहित कुमार 
माता : पीहू कुमारी 
दूल्हा : कृष्ण देव 
फूफा : राम प्रवेश
जीजा : देवेंद्र कुमार
दोस्त : देव्यांक
दोस्त : अजित कुमार 
दोस्त : अभिषेक राज
सहेली : दीपा कुमारी 

मंच परे :

गायक : अमित एमी 
रूप सज्जा : प्रियंका
वस्त्र विन्यास : रितिका महिवाल
प्रकाश : विजेंद्र महाजन 
प्रस्तुति नियंत्रक : हर्ष राज

लेखक / निर्देशक
  मनीष महिवाल