Header Ads Widget

नूर फातिमा जयंती समारोह 2023 का किया गया आयोजन।



पटना। 24 अगस्त 2023 को स्थानीय कालिदास रंगालय, पूर्वी गांधी मैदान, पटना में हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। नूर फातिमा सम्मान पत्रकारिता और रंगकर्म के क्षेत्र से विगत 22 वर्षो से दिया जा रहा है। इस वर्ष पत्रकारिता से पवन कुमार (प्रख्यात कार्टूनिस्ट) और रंगकर्म से बेगुसराय की चर्चित महिला रंगकर्मी चाँदनी कुमारी (अभिनेत्री) को दिया गया। सम्मान हरजीत कौर बम्हरा (अपर मुख्य सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार) के हाथों दिया गया।




साथ ही रामदास राही लिखित और हरिवंश द्वारा संपादित पुस्तक 'भिखारी ठाकुर स्मृतियों के फलक पर " का लोकापर्ण मुख्य अतिथि एवं गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। नूर फातिमा जयंती प्रतिवर्ष 24 अगस्त को 'प्रयास', 'एकता मंच' और 'बिहार आर्ट थियेटर' के संयुक्त तत्त्वावधान में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष सम्मान के अतिरिक्त नाटक का मंचन भी होता है। इस वर्ष प्रयास संस्था द्वारा मिथिलेश सिंह लिखित एवं निर्देशित नाटक 'सात दीवाने 11 अगस्त 1942 का मंचन किया गया। नाटक पूर्व मुख्य अतिथि हरजीत कौर बम्हरा (अपर मुख्य सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार), संस्था के महासचिव श्री मिथिलेश सिंह, सचिव श्रीमति रूपा सिंह के अतिरिक्त शैलजा सिन्हा,अजय सिंहा(प्रख्यात सिने निर्माता) अभिषेक रंजन ' अमलेन्दु सिन्हा, सतेन्द्र संगीत 'संजय उपाध्याय, विनित झा शहर के अन्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित किये। इसकी जानकारी संस्था के सचिव रूपा सिंह ने दी ने दो।





साथ दीवानी 11 अगस्त 1942 का सारांश

लगातार 22 वर्षों से हम नूर फातिमा जयंती मनाते आ रहे हैं हम इस बार नूर जी की जयंती पर लेकर प्रस्तुत है क्रांतिकारी नाटक साथ दीवानी 11 अगस्त 1942। इस नाटक की आजादी की दीवानगी ने अगस्त क्रांति को जन्म दिया था। इसी दीवानगी में 11 अगस्त 1942 को 7 नौजवान छात्र पटना के सचिवालय पर तिरंगा झंडा फहराने के प्रयास में शहीद हुए थे। उन्हीं की स्मृति में आज वहां शहीद स्मारक है, जिसे हम सतमूर्ति के नाम से भी जानते हैं। 11 अगस्त 1942 की सुबह से ही हजारों की संख्या में सचिवालय की ओर क्रांतिकारी बढ़ रहे थे, भारत माता की जय, अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे से आसमान गूंज रहा था। भीड़ का एक ही लक्ष्य था सचिवालय पर हर हाल में तिरंगा झंडा फहराना है गुस्साये तत्कालीन पटना जिलाधिकारी डब्लू की आर्चर ने गोली चलाने का आदेश दिया था। सात छात्रों को गोली लगी थी। सैकड़ो घायल हुए थे। छात्र एक-एक कर गोली खाते गये। वंदे मातरम, भारत माता की जय बोलते गये। मगर अपने हाथों से तिरंगा को गिरने नहीं दिया। हालांकि एक नौजवान छात्र रामकिसुन सिंह तिरंगा झंडा फहराने में कामयाब हुए थे। जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।


इसी घटना को नाटक "सात दीवानी 1142" में दिखाया गया है काफी शौध, अध्ययन करने के बाद नाट्य आलेख को तैयार किया गया है। शोध कार्य में पत्रकार अरुण सिंह, उदघोषक वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक प्रियदशी का बड़ा योगदान है। इनके योगदान से संस्था उनका ऋणी है। नाटक के कथन में सत्य के ऊपर कल्पनाओं की चादर ओढाई गई है, ताकि ऐतिहासिक के साथ-साथ नाटक में रोचकता भी हो। पात्र की उपस्थिति से स्थान का बोध होता है गोपाल सिंह नेपाली, बिस्मिल्लाह अजीमाबाद, विक्रम चंद्र चट्टोपाध्याय, जगदंबा प्रसाद मिश्र 'हितेशी', बृज बिहारी मिश्र और पारंपरिक होली गीत को नाटक में पिरिया गया है। नाटक के कथानक को शाहिद राम गोविंद सिंह की विधवा आशा कुँअर अपने स्मृतियो में बयां करती है।जो अतीत में वर्तमान से गुजरती है।



इस नाटक का प्रथम मंचन 1 मार्च 2022 को कालिदास रंगालय, पटना में प्रयास संस्था के 38वे वर्षगाँठ एवं अमृत महोत्सव के अवसर पर हुई थी। दूसरी प्रस्तुति उड़ीसा संगीत नाटक अकादमी पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद कोलकाता द्वारा आयोजित पूर्व रंगकर्म के नेशनल थियेटर फेस्टिवल, भुवनेश्वर में 4 मार्च 2022 को हुई थी। इसकी तीसरी प्रस्तुति "नित्य नाट्य उत्सव" के अवसर पर प्रेमचंद रंगशाला में हुई थी।



अमृत महोत्सव के अवसर पर इसका आयोजन कला संस्कृति युवा विभाग बिहार सरकार एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद विदेश मंत्रालय भारत सरकार क्षेत्रीय कार्यालय पटना द्वारा 11 मार्च 2022 को किया गया। चौथे प्रस्तुति 14 अगस्त 2023 को ओएनजीसी के 68वीं स्थापना दिवस एवं आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर आई एम ए हॉल बोकारो में हुई। आज इसकी पांचवी प्रस्तुति है।तो आईये देखते हैं नाटक "सात दीवानी 11 अगस्त 1942"। शहीद स्मारक मूर्तिकार देव प्रसाद राय चौधरी की कल्पना थी और नाटक "सात दीवानी 11 अगस्त से 1942" नाटककार मिथिलेश सिंह की कल्पना है। आप देश के चर्चित नामचीन रंगकर्मी है। नाटक की अवधि लगभग 1घंटा 20 मिनट की है

मंच पर कलाकार

1. राम गोविंद सिंह :- दीपक आनंद 
2. उमाकांत प्रसाद :- गोविंद कुमार 
3. सतीश प्रसाद झा :- सत्यम शिवम 
4. जगपति कुमार :- आदित्य पांडे 
5. देव चौधरी :- सौरव कुमार सिंह 
6. राजेंद्र सिंह :- विनोद कुमार 
7. रामानंद सिंह :-आशीष कु. विद्यार्थी 
8. रामकिशन सिंह :-कुमुद रंजन कुमार 
9. आशा कुंवर (विधवा) :- रजनी शरण 
10. आशा कंवर (युवा)/ लड़की :- ममता सिंह, 
11. डब्लू जी आर्चर :- विक्रांत कुमार 
12. सिपाही एक :- रामेश्वर कुमार 
13. सिपाही दो। :- विजय महतो 
14. क्रांतिकारी। :- अक्षय कुमार

 मंच के परे

1 संगीत :- बृज बिहारी मिश्र
2 नाल :- भोलानाथ शर्मा 
3 इफेक्ट :- सतनारायण कुमार 
4 प्रकाश संरचना :- राहुल रवि
5 सह निर्देशन साउंड नियंत्रक :- रवि भूषण 'बबलू '
6 रूप सज्जा :- उदय कुमार शंकर 
7 प्रॉपर्टी इंचार्ज लेखा अधिकारी। :- रामेश्वर कुमार 
8 नृत्य निर्देशक :- जितेंद्र चौरसिया 
9 वस्त्र विन्यास। :- गुड़िया कुमारी/ बीना गुप्ता
10 वेशभूषा : - रूपा सिंह
11 तकनीकी सहायक :-गिरीश कुमार 
12 मंच निर्माण :- सुनील शर्मा 
13 स्टील फोटोग्राफी :- शबलू कुमार 
14 उदघोषक :- विजय कुमार सिंह 

लेखक एवं निर्देशक : मिथिलेश सिंह