- अस्पताल प्रभारी ने अतिकुपोषित 06 बच्चों को इलाज के लिये एनआरसी में कराया भर्ती
- पोषण पुनर्वास केंद्र में अतिकुपोषित बच्चों के समुचित इलाज का प्रबंध, जागरूकता जरूरी
- इलाजरत बच्चों के अभिभावक को रहने-खाने सहित श्रम क्षतिपूर्ति राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान
अररिया, 9 मई ।
SON of Simanchal Gyan Mishra
कुपोषण जिले की गंभीर समस्याओं में से एक है। कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में सदर अस्पताल परिसर में संचालित पोषण पुर्नवास केंद्र एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है। बावजूद इसके जागरूकता की कमी के कारण जिलावासी इसके समुचित लाभ से वंचित हैं। ऐसे में रेफरल अस्पताल रानीगंज के प्रभारी डॉ रोहित कुमार झा की विशेष पहल इन दिनों चर्चा में है।
डॉ रोहित के प्रयास से रानीगंज के विशनपुर, डहरिया, बेलसरा गांव से अति गंभीर रूप से कुपोषित 06 बच्चों को इलाज के लिये पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती कराया गया है। जहां बच्चों की सेहत में अब तेजी से सुधार देखा जा रहा है।
बहुत समझाने के बाद इलाज के लिये अभिभाव हुए राजी
रानीगंज रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ रोहित कुमार झा ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान वे अपने स्तर से वे इन बातों की नियमित मॉनेटरिंग करते हैं। कुछ इलाजरत बच्चों को क्षेत्र भ्रमण के दौरान चिह्नित किया गया। वहीं संबंधित क्षेत्र की आशा व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से भी कुछ बच्चों के संबंध में जानकारी हासिल हुई। शुरू में अभिभावक बच्चों को इलाज के लिये एनआरसी में भर्ती कराने से कतरा रहे थे। काफी समझाने के बाद अभिभावक बच्चों के इलाज के लिये राजी हुए। बच्चों का इलाज जारी है। उनके सेहत में सुधार की खबर से तसल्ली देने वाला है।
कुपोषित बच्चों के इलाज का समुचित इंतजाम
पोषण पुर्नवास केंद्र की इंचार्ज अप्पी ने बताया कि जानकारी के अभाव व जागरूकता की कमी के कारण अभिभावक अपने कुपोषित बच्चों के इलाज के लिये केंद्र नहीं पहुंच पाते। एनआरसी में कुपोषित बच्चों के इलाज का समुचित इंतजाम उपलब्ध है।
इतना ही नहीं बच्चे के एक अभिभावक के रहने-खाने की सुविधा के साथ-साथ उन्हें श्रम क्षतिपूर्ति राशि के रूप में 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान का भी प्रावधान है। आशा द्वारा बच्चा लाये जाने पर उन्हें 250 रुपये इंसेंटिव के रूप में दिया जाता है। फिलहाल केंद्र में सात बच्चे इलाजरत हैं। इसमें 06 बच्चे रानीगंज व 01 बच्चा जोकीहाट प्रखंड का रहने वाला है। रानीगंज के सभी 06 बच्चों को रानीगंज रेफरल अस्पताल के प्रभारी ने स्वयं केंद्र पहुंच कर बच्चों को इलाज के लिये केंद्र में भर्ती कराया है।
पांच साल से कम उम्र के 47.5 फीसदी बच्चे अल्पवजन के शिकार
कुपोषण जिले के प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से एक है। एनएफएचएस 05 के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच साल से कम उम्र के 47.8 फीसदी बच्चे अल्पवजन के शिकार हैं। तो इसी आयु वर्ग के 49.9 फीसदी बच्चों की लंबाई उम्र की तुलना में कम है। 23.9 फीसदी बच्चों लंबाई की तुलना में वजन कम है। समय रहते समुचित इलाज से बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है।
सामुहिक सहभागिता से मिलेगा कुपोषण की समस्या से निजात
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने डॉ रोहित के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सामुहिक सहभागिता से ही कुपोषण की समस्या से पूर्णत: निजात पाया जा सकता है। इसके लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस सहित संबंधित अन्य विभागों के बीच परस्पर बेहतर समन्वय जरूरी है। स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को इसके प्रति विशेष रूप से सजग होने की जरूरत है। ताकि जिले में पोषण पुर्नवास केंद्र का सफल संचालन सुनिश्चित कराया जा सके।
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