Header Ads Widget

विश्व थैलेसीमिया दिवस- सेहत का समुचित ध्यान रखकर थैलेसीमिया मरीज भी जी रहे हैं लंबी ज़िंदगी


 

  • -रक्त विकार से संबंधित गंभीर आनुवांशिक बीमारी है थैलेसीमिया 
  • -जिले में थैलेसीमिया के 52 मरीज, ब्लड बैंक रोगियों को नि:शुल्क उपलब्ध कराता है रक्त 
अररिया, 8 मई । 

SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA

थैलेसीमिया रक्त से संबंधित एक गंभीर अनुवांशिक रोग है। यह बीमारी रक्त कोशिकाओं के कमजोर व नष्ट होने के कारण होती है। यह बीमारी माता-पिता से उनके बच्चों में फैलती है। बच्चों में अमूमन तीन से छह माह बाद ही इस रोग का पता लगता है। रोग की वजह से बच्चे के शरीर में रक्त की कमी होने लगती है। समय पर उचित उपचार नहीं मिलने से बच्चे की मौत हो सकती है। जिले में फिलहाल थैलेसीमिया के 52 मरीज हैं। वर्ष 2023 में अब तक इससे ग्रसित चार मरीज मिले हैं। इस गंभीर रोग के प्रति आम लोगों का ध्यान आकृष्ट कराने के उद्देश्य से हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। थैलेसीमिया पीड़ित रोगियों को सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन यापन के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित करने के उद्देश्य यह दिवस खास महत्व रखता है।

 आनुवांशिक रक्तविकार है थैलेसीमिया-
 
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रक्त विकार है। जो प्रभावित माता-पिता से बच्चों में पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता है। रोग की वजह से बीमार व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कण में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। इस कारण रोगी एनीमिया के शिकार हो जाते हैं। रोगियों को जीवित रहने के लिये हर दो से तीन सप्ताह पर रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर थैलेसीमिया दो प्रकार के होते हैं। माता या पिता में से किसी एक के क्रोमोजोम में खराबी होती तो बच्चा माइनर थैलेसीमिया का शिकार होता है। लेकिन अगर माता व पिता दोनों के क्रोमोजोम में खराबी है तो इससे मेजर थैलेसीमिया की स्थिति बनती।

शादी से पूर्व लड़का व लड़की का ब्लड जांच अनिवार्य-

सिविल सर्जन ने बताया कि शादी से पूर्व लड़का व लड़की का अनिवार्य रूप से ब्लड जांच जरूरी है। अगर बिना रक्त की जांच कराये शादी होती है तो गर्भधारण के आठ से ग्यारह हफ्ते के अंदर डीएनए की जांच होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि माइनर थैलेसीमिया के मरीज सामान्य व्यक्ति की तरह अपना जीवन जीता है। बिना खून जांच कराये रोग के संबंध में उसे कुछ पता नहीं चलता। ऐसे में अगर पति-पत्नी शादी से पहले अपने रक्त की जांच करा लें तो काफी हद तक इस आनुवांशिक रोग से पीड़ित होने से बच्चे को बचाया जा सकता है।

ब्लड बैंक संचालित होने से रोगियों को मिली राहत- 

सदर अस्पताल में ब्लड बैंक का संचालन शुरू होने के बाद से जिले के थैलेसीमिया ग्रसित मरीजों को काफी राहत मिली है। सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक व ब्लड बैंक के प्रभारी पदाधिकारी डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इससे रोगियों को आसानी से समय पर रक्त उपलब्ध हो जाता है। रक्त के लिये उन्हें कहीं भटकने की जरूरत नहीं होती। उन्होंने बताया कि कमजोरी, थकावट, पेट में सूजन, डार्क यूरिन, त्वचा का रंग पीला पड़ना इस रोग के सामान्य लक्षण हैं। इसके आधार पर रोग की पहचान संभव है।