- प्रारंभिक अवस्था में टीबी रोगियों की पहचान के लिये कर्मियों को किया गया प्रशिक्षित
- टीबी मुक्त भारत अभियान की सफलता में सक्रिय भागीदारी निभायें सभी एएनएम
- कुपोषित व्यक्ति व बच्चों को रहता है टीबी संक्रमण का अधिक खतरा
अररिया, 03 मई ।
SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम यानी एनटीईपी की सफलता को लेकर जिले में टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान मिशन मोड में क्रियान्वित है। स्वास्थ्य विभाग इसे मिशन मोड में संचालित करते हुए इसे जन आंदोलन का रूप देने की मुहिम में जुटा है। इसे लेकर जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में भरगामा पीएचसी में स्वास्थ्य कर्मियों की विशेष बैठक बुधवार को आयोजित की गयी। पीएचसी प्रभारी डॉ संतोष कुमार की अगुआई में संपन्न बैठक जिला यक्ष्मा केंद्र के वरीय अधिकारियों ने भी भाग लिया। इसमें उपस्थित सभी एएनएम को रोग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए टीबी मुक्त भारत अभियान में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का आदेश दिया गया।
टीबी उन्मूलन के लिये सामुदायिक सहभागिता जरूरी
पीएचसी प्रभारी डॉ संतोष कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिये सामुदायिक सहभागिता जरूरी है। इसके लिये स्थानीय स्तर पर पंचायती राज से जुड़े जन प्रतिनिधियों को प्रेरित व प्रोत्साहित करते हुए उनका अपेक्षित सहयोग अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
कुपोषित व्यक्ति व बच्चों को रोग का खतरा अधिक
टीबी को एक गंभीर संक्रामक बीमारी बताते हुए पीएचसी प्रभारी डॉ संतोष ने कहा आमतौर पर टीबी के मरीज निर्धन व गरीब परिवार से होते हैं। इसमें कुपोषित व्यक्ति व बच्चों को टीबी संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है। एक ही घर में उनका पूरा परिवार रहता है। इससे घर के अन्य सदस्य भी आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इसे जड़ से मिटाने के लिये एकजूट प्रयास की जरूरत है।
प्रारंभिक लक्षण के आधार पर रोग की पहचान आसान
स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी रोग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर प्रसाद ने बताया कि अभियान को जन आंदोलन का रूप देने के लिये जरूरी पहल की जा रही है। प्रारंभिक अवस्था में टीबी मरीजों की पहचान सुनिश्चित कराने के लिये उन्हें रोग से जुड़े महत्वपूर्ण पहलूओं की जानकारी दी गयी। ताकि लक्षणों के आधार पर रोग की पहचान करते हुए रोगी को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भेजा जा सके।
जो रोगी का उपचार जल्द शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि सभी पीएचसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों के जांच व इलाज का नि:शुल्क इंतजाम है। रोग का लक्षण वाले मरीज दिखने पर उनके बलगम की जांच जरूरी होता है।