औरंगाबाद। भारतीय रेल तथा एनटीपीसी लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड की औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड में स्थित थर्मल पावर परियोजना बिजली उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयास कर रही है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि प्रकाश ने आज मीडिया संवाद में बताया कि इस अत्याधुनिक बिजली परियोजना से प्रदूषण को लगभग पूरी तरह नियंत्रित रखने के लिए एफजीडी नामक एक विशिष्ट संयंत्र की स्थापना की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस अत्याधुनिक संयत्र के लग जाने से बीआरबीसीएल परियोजना से होने वाले प्रदूषण को लगभग पूरी तरह नियंत्रित कर लिया जाएगा। इस संयंत्र की स्थापना पर लगभग 650 करोड़ रुपये की लागत आएगी। श्री प्रकाश ने बताया कि इस प्रदूषण नियंत्रण वाले इस अत्याधुनिक संयंत्र की स्थापना के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना प्रभावित गांव के अलावा इर्द-गिदã इलाके में बीआरबीसीएल की ओर से अब तक एक लाख वृक्ष लगाए गये हैं और परियोजना क्षेत्र को हरा-भरा बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि ढाई - ढाई सौ मेगावाट की चार इकाइयों से कुल 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली इस परियोजना के निर्माण पर 10566 करोड़ रुपए की लागत आई है और यहां से उत्पादित 90 प्रतिशत बिजली रेलवे तथा 10 प्रतिशत बिजली बिहार को दी जा रही है। इस कंपनी में 74 प्रतिशत भागीदारी एनटीपीसी लिमिटेड की और 26 प्रतिशत भागीदारी भारतीय रेल की है। श्री प्रकाश ने बताया कि कंपनी के सामाजिक निगमित दायित्व और पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन कार्यक्रम के तहत क्षेत्र में सड़क, जल संचयन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, आधारभूत संरचना के विकास, महिला सशक्तिकरण, बेरोजगार युवक-युवतियों को तकनीकी शिक्षा तथा प्रशिक्षण आदि के माध्यम से यहां विकास की नई गाथा लिखने की हर संभव कोशिश की जा रही है। इस अवसर पर मुख्य वित्त अधिकारी वेंकटारमणा नारायणा श्रेट्टि, महाप्रबंधक (अनुबंध और सामग्री) एस एस साहू, अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) चरणजीत कुमार, अपर महाप्रबंधक (योजना प्रणाली) अरविद पटले, महाप्रबंधक (अनुरक्षण) सुरेश जॉन डेविड, महाप्रबंधक (प्रचालन एवं अनुरक्षण) बी जे सी शास्त्री, डीजीएम श्री पंजीकार, जन संपर्क अधिकारी दिव्या बत्रा के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
बीआरबीसीएल को मिले कई पुरस्कार मुख्य कार्यकारी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण तथा अन्य क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों एवं अहम योगदान के लिए बीआरबीसीएल को अबतक कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्होंने बताया ग्रीनटेक फाउंडेशन द्बारा बीआरबीसीएल को ’’पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीनटेक अवार्ड-2022’’ से सम्मानित किया गया है। वहीं ऑक्यूपेशनल हेल्थ एंड सेफ्टी के क्षेत्र में पिछले वित्त वर्ष में एपेक्स इंडिया फाउंडेशन ’’प्लैटिनम अवार्ड-2022’’, श्रम कल्याण दिवस के मौके पर श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्बारा ’’सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा के प्रति जागरूक श्रमिक’’ अवार्ड एवं पिछले वर्ष पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया द्बारा पब्लिक रिलेशंस इन ऐक्शन वर्ग में बीआरबीसीएल को 'नेशनल पी आर एस आई अवार्ड' से सम्मानित किया गया है।
बीआरबीसीएल परियोजना से बदली इलाके की तस्वीर
औरंगाबाद देश और बिहार के विकास के साथ ही औरंगाबाद के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नवीनगर प्रखंड के बड़ेम में स्थापित परियोजना के माध्यम से प्रभावित गांवों का समग्र विकास करने के साथ ही विस्थापित लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और जनसुविधाएं सुलभ कराने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इसके लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं। यह बातें शुक्रवार को एनटीपीसी एवं भारतीय रेल के संयुक्त उपक्रम भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड (बीआरबीसीएल) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि प्रकाश ने प्रेस वार्ता में कही। श्री प्रकाश ने कहा कि बीआरबीसीएल का गठन नवंबर 2००7 में किया गया था। बीआरबीसीएल के गठन के उपरांत परियोजना स्थापित करने के लिए भूमि अधिग्रहण का काम शुरू किया गया। इस काम में बिहार सरकार एवं औरंगाबाद जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला जिसके कारण यह परियोजना मूर्तरूप ले सकी।
उन्होंने कहा कि शुरूआती दिनों में कई प्रकार के झंझावातों से गुजरना पड़ा लेकिन परियोजना से जुड़े अधिकारियों एवं जिला प्रशासन की तत्परता से यह परियोजना साकार रूप ले सकी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि सभी बाधाओं को पार करते हुए इस परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण करने के बाद इसकी पहली यूनिट से मार्च 2०16 में व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ किया गया जबकि इसकी अंतिम एवं चौथी यूनिट से व्यावसायिक उत्पादन का काम दिसंबर 2०21 में प्रारंभ किया गया। उन्होंने बताया कि कुल 1526 एकड़ में फैले इस परियोजना के निर्माण पर कुल 1०566.33 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में स्थापित चारों यूनिटों का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने से अब तक लगातार कंपनी को मुनाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि मुनाफा से प्रा’ राशि का कुछ भाग प्रावधान के अनुसार सामाजिक निगमित दायित्व के तहत क्ष्ोत्र के विकास पर खर्च किया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण एवं विस्थापित गांवों के विकास पर जोर
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि परियोजना स्थापित करने के बाद सबसे ज्यादा जोर पर्यावरण संरक्षण एवं विस्थापित गांवों के विकास पर दिया गया है। इसके लिए परियोजना प्रभावित 16 गांवों में एक लाख से अधिक पौधा लगाने के साथ ही पांच हजार से अधिक फलदार पौधों का वितरण किया गया है। साथ ही तालाब की खुदाई पर भी विश्ोष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस कड़ी में धुंधुआ एवं ख्ौरा गांव में तालाब का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है जबकि आधा दर्जन गांवों में तालाब की खुदाई का काम प्रस्तावित है। इसकी स्वीकृति मिलते ही इन तालाबों के जीर्णोद्धार का काम शुरू करा दिया जाएगा।
आई.टी.आई. का निर्माण कार्य पूरा
श्री प्रकाश ने बताया कि पर्यावरण के साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी कंपनी प्रयासरत है तथा इस दिशा में पहल की गई है। उन्होंने बताया कि परियोजना प्रभावित गांवों के बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के लिए आई.टी.आई. का निर्माण कार्य पूरा करा लिया गया है। इस संस्थान के लिए फर्नीचर आदि की आपूर्ति हेतु आदेश दे दिया गया है। इसकी आपूर्ति होते ही इस भवन को बिहार सरकार को सौंप दिया जाएगा ताकि बच्चों को तनकीकी शिक्षा देने का काम शुरू किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आगामी श्ौक्षणिक सत्र से इस संस्थान में नामांकन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में परियोजना से प्रभावित गांवों के 139 बच्चे दूसरे संस्थानों में तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों को तत्काल कंपनी की ओर से 25-25 हजार छात्रवृति उपलब्ध करायी जा रही है। इसके अलावे बिहार सरकार द्बारा पूर्व से संचालित आसपास के स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है ताकि वहां पढ़ने वाले बच्चों को किसी तरह की असुविधा न हो। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों में बंेच-डेस्क एवं अन्य उपस्कर के साथ ही बच्चों को स्कूल बैग आदि उपलब्ध कराया गया है।
लोगों को मिल रहा स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि कंपनी द्बारा परियोजना प्रभावित गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए कंपनी द्बारा एम्बुलेंस के माध्यम से गांव-गांव मेंं घूमकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें आवश्यक परामर्श दिया जाता है। एम्बुलेंस में चिकित्सक एवं पारा-मेडिकल कर्मियों के साथ ही 4० प्रकार की दवाएं उपलब्ध रहती है जिसे जरूरत के अनुसार दिया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर भी ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हंे सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है।
24 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का कराया गया निर्माण
श्री प्रकाश ने बताया कि परियोजना का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सबसे पहले यहां ग्रामीण सड़कों की स्थिति की ओर ध्यान दिया गया। इस क्रम में जिस गांव की सड़कें जर्जर स्थिति में थी उसके निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया गया। इस कड़ी में अब तक 24 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य पूरा करा लिया गया है जबकि ०6 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराना प्रस्तावित है। स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
किसानों व महिलाओं को बनाया जा रहा सशक्त
कंपनी द्बारा किसानों एवं महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने का काम भी किया जा रहा है। इसके लिए जहां किसानों को वर्मी कंपोस्ट तैयार करने एवं मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं बच्चियों एवं महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए पटना की एक एनजीओ के साथ समझौता कर उन्हें कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दी गई है। साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें पांच तरह की मशीनें भी उपलब्ध कराई गई है ताकि वे स्वरोजगार करने के साथ दूसरों को भी प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें।