कथासार
आज बाजारवाद और रसायानिक युग में मनुष्य अपने स्वास्थ को लेकर बहुत हीं गंभीर रहते हैं। अपने आहार में पोष्टीकता को बनाये रखने के लीये तरह- तरह के खाद पदार्थ जो बाजार में उपलब्ध है, उसे प्रयोग में लाते है फिर भी वे स्वस्थ नहीं रह पाते, दरअसल उन्हें मालूम ही नहीं है कि किस खाद पदार्थ में क्या और कितने मात्रा में न्यूट्रेशन है।
इसी विषय पर लोक पंच के कलाकारों ने एक नुक्कड नाटक, किसमें कितना है दम के माध्यम से लोगों को स्वस्थ और पोष्टीक खाद -पदार्थ के बारे में बताया। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि हमारे पूर्वज मिलेटस जैसे बाजरा, मडुआ, क्रिओनी, चीना, कुटकी, सामा आदि अन्न उगाते थे जो न्युट्रेशन प्रोटीन, काब्रोहाइड्रेड आदि से भरपूर रहता था, जिसके कारण वे लोग आज के अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहते थे। आज हमें फिर से उन अनाजों को उगाने की आवश्यकता है। इसके लिए उत्पादन के साथ-साथ उपभोगता को भी जागरूक होना होगा। सरकार हर संभव प्रयास में लगी है कि मिलेटस खाद्य पदार्थों की खेती अधिक से अधिक हो।
कलाकार
सरबिन्द कुमार, रेन मार्क, प्रियंका सिंह, अरविन्द कुमार, अनिशा, शिशिर, रजनीश, अभिषेक, राम प्रवेश एवं मनीष महिवाल
प्रस्तुति : लोक पंच
लेखक : इश्तियाक अहमद
निर्देशक : मनीष महिवाल
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