- संपूर्ण टीकाकरण व सतर्कता से निमोनिया से बचाव संभव
- बदलते मौसम में बच्चों में निमोनिया संक्रमण का खतरा अधिक
- पीसीवी का टीकाकरण निमोनिया से बचाव के लिये जरूरी
अररिया, 24 नवंबर ।
SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
बदलते मौसम में बच्चों को निमोनिया के खतरे से बचाने के लिये विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है. गौरतलब है कि बच्चे व बुजुर्गों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है. इससे वे आसानी से किसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. संक्रमण की वजह से बच्चे व बुजुर्गों को सांस लेने से जुड़ी तकलीफ होती है. बीमारी से बचाव के लिये पीसीवी का वैक्सीन ही एकमात्र उपलब्ध विकल्प है.
निमोनिया रोग के खतरे व बचाव संबंधी उपायों के प्रति समुदाय में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व निमोनिया दिवस के तहत 12 नवंबर से 28 फरवरी तक सांस कार्यक्रम का संचालन जिले में किया जा रहा है. इसमें आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय को रोग के प्रति जागरूक करने को लेकर विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है.
निमोनिया से बचाव के लिये पीसीवी का टीका जरूरी :
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे ही होते हैं. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं. वैसे बच्चे जिन्हें पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है. वैसे बच्चों के बीमारी से प्रभावित होने की आशंका ज्यादा होती है. इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है. इस बीमारी को केवल टीकाकरण से ही रोका जा सकता है. इसलिए संपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को पीसीवी का टीका अवश्य लगाने की सलाह उन्होंने दी. उन्होंने कहा कि बच्चे को जन्म के बाद दो साल के अंदर सभी टीका जरूर लगाना चाहिये. इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. साथ ही इससे 12 से अधिक प्रकार के रोगों से बच्चों का बचाव होता है.
निमोनिया से बचाव के उपाय :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण है. नवजात एवं छोटे बच्चों का रखरखाव, खान-पान व कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की जरूरत होती है. सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने व खाने-पीने में गर्म पदार्थो का ही इस्तेमाल करना चाहिए. इसके साथ ही वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो. इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.
प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर करें रोग की पहचान :
- निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण
- बुखार के साथ पसीना व कंपकपी होना,
- अत्यधिक खांसी मेंगाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना,
- तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने केसाथ सांस का फूलना (जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना),
- होंठ या अंगुलियों के नाखूननीले दिखाई देना,
- बच्चों की परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना .