कथासार
नाटक "क़ातिल खेत" के माध्यम से दिखाया गया कि एक किसान है जो अपनी किसानी से खुश है, थोड़ा-थोड़ा अपनी जरूरत की सभी खाद्य सामग्री उगाता है।
एक दिन किसान को हल जोतते समय उसे खेत से एक चिराग निकलता है वह चिराग को साफ करता है तभी उसके अंदर से जिन निकलता है और सलाह देता है कि तुम अपने खेत में रासायनिक खाद का उपयोग करो उपज 5 गुना होगा और एक बार में एक फसल लगाओ तो और ज्यादा फायदा होगा, पर खर्च थोड़ा ज्यादा लगेगा। जबकि किसान की पत्नी किसान को यह सलाह मानने से बार-बार मना करती है, लेकिन किसान नहीं मानता। वो कर्जा, पईचा, लोन लेकर खेती शुरू करता है। बार-बार कर्ज लेता है पर समय पर चुका नहीं पता है मजबूरन अपने सारे फसल अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता है और अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।
पात्र परिचय
किसान : मनीष महिवाल
पत्नी : प्रियांका सिंह
जिन : गुलशन कुमार
बैल 1 : कृष्णा देव
बैल 2 : प्रिंस कुमार
ग्रामीण : अरबिंद कुमार
मुखिया : अभिषेक बिहारी
खान : चंदन कुमार
मुंशी जी : अभिषेक राज महिला : वीना गुप्ता
ग्रामीण : अभिषेक
मंच परे
संगीत : अभिषेक राज
प्रकाश : राम प्रवेश
प्रॉपर्टी : कृष्ण देव
मेकअप : रोज सिंह
कार्ड : नीरू कुमारी
परिवहन : अभिषेक बिहारी
फोल्डर : अभिजीत चक्रवर्ती
मंच व्यवस्था: रजनीश पांडे वस्त्र विन्यास: रितिका
लेखक : इश्तियाक अहमद निर्देशक : मनीष महिवाल
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