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टीबी से जुड़े लक्षण दिखे तो करायें इलाज रोग छुपाना परिवार व समुदाय के लिये खतरनाक



  • जांच के विश्वसनीय इंतजाम व सघन रोगी खोज अभियान से टीबी के मामलों में आयी है कमी
  • वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का है लक्ष्य, लक्ष्य प्राप्ति के लिये सामूहिक सहयोग अपेक्षित 

अररिया, 07 जून 

SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
 
जिले में बीते कुछ सालों से टीबी के मामलों मे कमी आयी है। रोग उन्मूलन को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास व टीबी के प्रति लोगों में आयी जागरूकता के कारण रोग संबंधी मामलों में कमी देखी जा रही है। गौरतलब है कि देश में वर्ष 2025 तक टीबी को पूर्णत: खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर युद्धस्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। दूरस्थ चिकित्सा संस्थानों में भी टीबी मरीजों के जांच से लेकर इलाज का इंतजाम किया गया है। जो पूरी तरह नि:शुल्क है। टीबी मरीजों की खोज से लेकर इलाज के लिये सभी एचडब्ल्यूसी में सीएचओ कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर बहाल किये गये हैं। टीबी मरीजों को हर संभव सलाह व मदद के लिये उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी है। 

टीबी मरीजों के लिये विश्वसनीय जांच व इलाज का है बेहतर इंतजाम :

जानकारी देते हुए जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि समय-समय पर चिह्नित इलाकों में सघन अभियान संचालित कर रोगी खोज अभियान का संचालन रोग नियंत्रण के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुआ है। ईट-भट्ठा, झुग्गी-झोपड़ी, मलीन बस्तियां सहित अन्य संभावित स्थानों पर संचालित अभियान के क्रम में बड़ी संख्या में टीबी के छूपे मामले सामने आ रहे हैं। टीबी के विश्वसनीय जांच के लिये सभी प्रखंड स्तरीय चिकित्सा संस्थानों में ट्रूनेट मशीन लगायी गयी हैं। इससे एमडीआर टीबी के भी मामले आसानी से चिह्नित कर उनका समुचित इलाज सुनिश्चित कराया जा रहा है। इतना ही नहीं टीबी नोटिफिकेशन के मामले में प्राइवेट चिकित्सकों से भी जरूरी मदद ली जा रही है। 

रोग के लक्षण को छूपाए नहीं, करायें इलाज :

सीडीओ डॉ वाईपी सिंह के मुताबिक नाखून व बाल को छोड़ कर टीबी हमारे शरीर के किसी अंग को प्रभावित कर सकता है। वजन में कमी, दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना, इसके साथ बलगम या खून आना, ज्यादा पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, कमजोर इम्यूनिटी, मांसपेसियों में दर्द टीबी रोग से जुड़े सामान्य लक्षण हैं। 



इसमें से किसी एक लक्षण होने पर रोगी को इसे छूपाने की जगह नजदीकी अस्पताल में जाकर अपना इलाज कराने की जरूरत है। लक्षण दिखने के बाद इसे लंबे वक्त तक छुपाना रोगी व उसके परिवार ही नहीं पूरे समुदाय के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।

वर्ष 2022 में अब तक मिले हैं टीबी के 527 मामले : 

जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर प्रसाद ने बताया कि जिले में वर्ष 2019 में टीबी के कुल 3165 मामले मिले। वर्ष 2020 में टीबी के कुल 2021 व वर्ष 2021 में टीबी के कुल 1771 मामलों की पुष्टि हुई। वर्ष 2022 में अब तक टीबी के कुल 527 मामले सामने आने की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने कहा कि बीते तीन सालों में मिले टीबी के 7484 विभिन्न सरकारी चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से चिह्नित किये गये हैं। वहीं प्राइवेट चिकित्सकों की मदद से इसमें कुल 1888 मरीज चिह्नित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को बेहतर खान-पान व पोषण का ध्यान रखने के लिये सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपये सहायता राशि के तौर पर भुगतान करती है। विभाग द्वारा नोटिफाइड टीबी मरीजों को नियमित रूप से संबंधित राशि का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलनन के हर स्तर पर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। विभागीय प्रयास व सामूहिक सहयोग से हम निर्धारित समय सीमा के अंदर टीबी को पूरी तरह खत्म करने में सफल होंगे।