सन ऑफ सीमांचल, ज्ञान मिश्रा
ऐसा कहा जाता है की प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती। बिहार के बेगूसराय की रहने वाली 3 सगी बहनों ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। बेगूसराय के बखरी के सलौना गांव की तीन सहोदर बहनों ने एक साथ बिहार दारोगा की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है। तीनों का जन्म एक किसान परिवार में हुआ है। तीनों यहीं पली-बढ़ी। उन्होंने गांव के ही स्कूलों में शिक्षा ग्रहण किया और बिहार दारोगा भर्ती की तैयारी में जुट गई। जब PT परीक्षा में तीनों ने रिजल्ट लाया तो घर वाले खुशी से झूम उठे। तीनों बहनों ने सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ने का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया।
तीनों बहनें गांव के निम्न वर्गीय किसान फुलेना दास की बेटियां हैं। उनकी मां एक कुशल गृहिणी हैं। पिता अपने गांव में रहकर खेती करके पूरे परिवार को भरण-पोषण करते हैं। उनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन हैं। इनकी कुल पांच संताने हैं। जिसमें चार पुत्रियां और एक पुत्र हैं। फुलेना दास ने अभाव के बावजूद बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कभी कोताही नहीं की। बङी बेटी ज्योति कुमारी, दूसरी सोनी कुमारी तथा तीसरी मुन्नी कुमारी ने बिहार दारोगा की प्रारंभिक परीक्षा पास की।
छात्र-छात्राओं तथा कंपटीशन की तैयारी कर रहे युवाओं को अपने संदेश में ज्योति ने कहा कि सफलता केवल किसी बड़े शिक्षण संस्थान या बड़े शहरों में नहीं मिलती। बल्कि यह अपने लक्ष्य की प्राप्ति दृढ इच्छाशक्ति तथा उसके अनुरूप की गई कड़ी मेहनत से प्राप्त होती है।
तो क्या हुआ कि आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, या गांव के स्कूल में पढते हैं। अपनी मंजिल को प्राप्त करने की सनक आपको वहां तक पहुंचा देगी, जहां आप जाना चाहते है। तीनों बहनों की कामयाबी पर गांव के पूर्व मुखिया तुफैल खान ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।