न्यूज़ डेस्क। पटना में इन दिनों गंगा नदी में नाव पर क्षमता से अधिक यात्री सवार होकर एक जगह से दूसरी जगह अपनी जान की बाज़ी लगा कर आ जा रहें है, प्रशासन के लाख कोशिश के बावजूद ना तो नाविक बाज़ आ रहें है और ना तो लोग। त्यौहार के समय होने के कारण भारी संख्या में महिलएं और बच्चे इन नावों का सफ़र करने को मजबूर हैं। सरकार की ओर से पुल का निर्माण भी कराया जा चुका है पर अपने गावों तक जल्दी पहुचनें के चक्कर में मजबूरन लोगों को अपनी जान हथेली में लेकर इन छोटी बड़ी नावों से आर पार होना नियति बन गया है। यहां नाव मालिक तमाम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए नाव में क्षमता से अधिक सवारियों व समानों को लेकर नाव का परिचालन बिना किसी रोकटेक के प्रतिदिन कर रहे हैं। इन सवारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे साफ देखे जा सकते हैं। हालांकि इससे पहले कई बार इस रास्ते दुर्घटना हो चुकी है।
यहां महेंद्रू घाट से पलेजा घाट के लिए नाव चलती है। गंगा नदी के तमाम बड़े घाट से सैकड़ों की संख्या में दोनों प्रखंडो के अधिकांश लोगों की आवाजाही प्रतिदिन नाव से ही होती है। पटना आने का इन लोगों का मुख्य मकसद दियारा क्षेत्रों से किसान हरी सब्ज़ी और दुध बेचने पटना रोज़ाना पहुंचते हैं, इसी का फ़ायदा उठा कर नाविक चंद पैसों के खातिर लोगों को अपनी जान की बाज़ी लगा कर आना लेजाना करते हैं। यहां नाव में सवारी के साथ दो पहिये वाहनों और जानवरों तक को ढोया जाता है।
बताते चलें फतुहा का राघोपुर दियारा, पटना के कच्ची दरगाह घाट, पटना से सोनपुर पेलजा घाट,पटना से कोइलवर आदि जगहों पर बड़ी संख्या में लोगों का नाव के सहारे आना जाना लगा रहता है।
नावों पर क्षमता से कहीं अधिक यात्री बैठाए जाने के कारण कोरोना को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस मौके पर नाव पर सवारी करने वाले यात्रियों और स्थानीय लोगों ने बताया कि मना करने के बावजूद भी नाविकों द्वारा क्षमता से अधिक यात्री नाव पर बैठाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना था कि पुलिस और प्रशासन का इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिए जाने से नाविकों के हौसले बुलंद हैं, और वे लोगों की जान से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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