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पुलिस चाह ले तो अवैध धंधेबाजों की एक न चले पर फारबिसगंज में प्रतिबंधित लॉटरी के मामले में ऐसा नहीं होने से अब पुलिस की हीं कार्यशैली पर उठने लगे हैं सवाल ।


SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA :

पूरे क़ायनात ( दुनियाँ ) में उपर वाले के इशारे के बगैर जिस प्रकार एक पत्ता तक नहीं हिल सकता है । ठीक इसी प्रकार यदि पुलिस प्रशासन पूरी ईमानदारी से चाह ले तो उनके क्षेत्र में अवैध धंधे या किसी भी प्रकार के अपराध रूपी पत्ता तक नहीं हिल सकता है । क्योंकि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं । बावजूद इसके फारबिसगंज सहित पूरे अररिया जिले में प्रतिबंधित लॉटरी के तकरीबन लाइलाज हो चुके धंधों के मामले में ऐसा क्यों नहीं है ? जनमानस के बीच उठ रहे इन ज्वलंत सवालों का जबाब पुलिस प्रशासन को भी अब ढूंढना हीं पड़ेगा । यह बात अलग है की अररिया एसपी तथा फारबिसगंज डीएसपी ने इस अवैध धंधे पर अंकुश लगाने तथा बहुत जल्द हीं सकारात्मक परिणाम सामने आने की बात कह आशा की किरण जरूर दिखाई  है । वहीं दूसरी ओर कुकुरमुत्ते की भांति फैले चुके इस अवैध धंधे से जुड़े लोग  चोरी - छिपे सक्रिय रहे !

            इस गोरखधंधे से जुड़े कई ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा की दीपावाली एवं छठ महापर्व पर बम्पर इनामों की बारिश होने के मद्देनजर विभिन्न प्रकार के लॉटरी टिकटों की बिक्री को ले संचालकों एवं सेलरों ने भी मिलने - जुलने व व्यापार का नियमित स्थान व पैटर्न बदल दिया है । सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक की सुर्खियां बटोर रहे इन खबरों पर बुद्धिजीवियों ने भी अब प्रतिक्रिया देना शुरु कर दिया है जबकि इस अवैध धंधे से जुड़े लोग व समर्थकों में भी खासी बेचैनी देखी व सुनी जा रही है ।