मधुबनी - रहिका से प्रेम कुमार झा की रिपोर्ट।
प्रखण्ड मुख्यालय से महज दो मील व दरभंगा-जयनगर एन एच 527 बी सड़क मार्ग में कपिलेश्वर स्थान से एक मील की दूरी पर निर्जन जंगल में वनदेवी दुर्गा माता स्थान में श्रद्धालुओं की मनौती पूर्ण होने से प्रसिद्ध शक्तिस्थल रुप में ख्याति हो गई है।सप्तमी तिथि को वनदेवी दुर्गा के पूजा अर्चना एवं दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ का तांता लगा हुआ था।वनदेवी दुर्गा स्थान के चारों ओर एक मील तक आबादी नही है।
वनदेवी दुर्गा की मूर्ति एक विशाल बरगद वृक्ष के जड़ में मां भगवती वनदेवी दुर्गा स्थापित है।वनदेवी दुर्गा स्थान के पुजारी ने बताया कि पांच दशक पूर्व गांव के लोग इस घोर जंगल में पशुओं को चराने पहुंचते थे।सुगौना गांव के लोगों ने बरगद पेड़ के निचे जड़ के पास अंकुरित पत्थर की प्रतिमा देखा।ग्रामीणों ने जंगल के झांड़ियों की सफाई की।सफाई के क्रम में कुंआ मिला।मिट्टी के वर्तन ईट एवं मंदिरों का भग्नावशेष भी मिला।वनदुर्गा के बारे में किंवदंती है कि भगवती दुर्गा की सवारी बाघ भी जिंदा लोगों ने देखा था।जंगल से पूरब एक तालाब भी है।स्थान से कुछ दूरी पर पुरानी नदी का अवशेष भी है।
वनदेवी दुर्गा स्थान की मनोरम दृश्य देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।स्थान के चारों ओर फूलों एवं हरे भरे वृक्षों की मनमोहक छंटा लोगों को आकर्षित करता है।स्थान में पवित्रता, शीतलता एवं तपस्या भूमि की सुगंध से भक्त तपस्या में लीन हो जाते हैं।पुजारी ने बताया कि वैसे तो लोग सालभर वनदेवी दुर्गा के मनोकामना पूर्ण होने पर मनौती चढ़ाने आते हैं।इस स्थान की खाश विशेष महिमा है कि जो भी भक्त मां के स्थान में वनदेवी दुर्गा से श्रद्धापूर्वक एवं निष्ठा से वरदान मांगते हैं उन्हें मनोवांछित फल अवश्य ही वनदेवी की कृपा से प्राप्त होता है।