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गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों के लिये वरदान साबित हो रहा है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम हृदय संबंधी गंभीर रोग से ग्रसित चार माह की बच्ची का पटना में हुआ सफल इलाज आरबीएसके के जरिये कुल 38 बाल रोगों के नि:शुल्क इलाज का है इंतजाम



अररिया, 14 जुलाई । ज्ञान मिश्रा

घर गृहस्थी का दायित्व संभालते ही प्रदीप अपने खुशहाल पारिवारिक जीवन को लेकर हसीन सपने संजोने लगा था। नयी बहु के आने पर परिवार में उत्सव व जश्न का माहौल अभी जारी ही था कि जल्द ही घर में नन्हें मेहमान आने की आहट पाकर प्रदीप के माता-पिता हाथों में आसमान उठाये फिर रहे थे। पलासी प्रखंड के बेलवा ड्यूढी निवासी प्रदीप यादव व उनकी पत्नी नीतू भी इस नये मेहमान के आवभगत में लगे थे। समय बीतते देर नहीं हुई फिर एक दिन पीएचसी पलासी में ही नीतू ने एक नन्हीं बच्ची को जन्म दिया। परिवार वालों को लगा जैसे उनकी सारी मन्नतें ईश्वर ने कबूल कर ली हो। जच्चा-बच्चा सुरक्षित घर पहुंचा तो परिवार में उत्सवों का दौर निरंतर चल पड़ा। कुछ दिन ही बीतें होंगे कि गहरी नींद में सो रही नन्हीं बच्ची अचानक कराह मार कर रो पड़ी। परिवार के बड़े-बुजुर्ग जब वहां जुटे तो बच्ची को सांस लेने में हो रही तकलीफ उनसे कहां छूपा रहा। दूसरे ही दिन प्रदीप व उनकी पत्नी शहर के एक प्रतिष्ठित शिशुरोग विशेषज्ञ के यहां बच्ची के इलाज के लिये पहुंचे।  

जांच रिपोर्ट सामने आते ही उड़े नव दंपति के होश :

चिकित्सक से बच्ची को हो रही तकलीफ को गंभीरता से लिया। सभी जरूरी टेस्ट कराये गये। जब जांच नतीजा सामने आया तो नवदंपति के होश उड़ गये। चिकित्सक ने बेटी के फेफडे में छेद होने की बातें कहते हुए तत्काल बड़े चिकित्सा संस्थान में इसके ऑपरेशन की बातें कही। चिकित्सक की बातें सुनते ही नीतू वहीं बेहोश हो गयी तो घबराहट के मारे प्रदीप के भी दम घुट रहे थे। बड़े अस्पताल में बेटी के इलाज और इसमें खर्च होने वाली बड़ी रकम की बातें सोच कर ही दंपति का मन डूबा जा रहा था। आखिर किसी तरह मेहनत मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाने वाला प्रदीप इतनी बड़ी रकम कैसे जुटा पाता। इसी उधेड़ बुन में किसी तरह वे दोनों अपने घर पहुंचे। बच्ची के बीमारी की बातें परिवार में किसी को न बताने की कसम तो दोनों रास्ते में ही ले चुके थे। 

आरबीएसके के कारण बच्ची का समुचित इलाज हुआ संभव :

अगली सुबह प्रदीप अपने एक परिचित से मिलने पलासी पीएचसी पहुंचा। परिचित ने उनका खैरियत जानना चाहा तो वो फफक कर रो पड़ा। समस्या सुनने के बाद परिचित ने उन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में समुचित जानकारी देते हुए किसी तरह की चिंता छोड़ बेटी का इलाज कराने की सलाह दी। इसमें कोई राशि खर्च नहीं होने की बात सुन कर प्रदीप भी खुशी-खुशी घर लौटा और तत्काल बच्ची को साथ लेकर आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ तारिक जमाल से मिलने अररिया पहुंच गया। डॉ तारिक ने बच्ची को हो रही समस्या को जाना और उसी दिन बेहतर इलाज के लिये उसे राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय हृदय रोग संस्थान जाने के सारा इंतजाम उपलब्ध करा दिया। चार माह की नन्हीं बच्ची समुचित इलाज के बाद बीते मंगलवार को सकुशल अपने घर लौट चुकी है। छह माह तक के लिये जरूरी दवा बच्ची के परिवार को उपलब्ध कराया गया है। संस्थान के चिकित्सा अधिकारियों ने दोबारा छह माह बाद बच्ची को जरूरी जांच के लिये बुलाया है। 

आरबीएसके के माध्यम से कुल 38 रोगों का होता है नि:शुल्क इलाज :  
 
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए जिला समन्वयक डॉ तारिक जमाल ने बताया कि कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल के बच्चों में होने वाले कुल 38 तरह के जटिल रोगों के इलाज का नि:शुल्क इंतजाम है। इसमें चर्मरोग, दांत व आंख संबंधी रोग, टीबी, एनीमिया, हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग शामिल हैं। डॉ जमाल ने बताया 0 से 6 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिये आंगनबाड़ी स्तर पर आरबीएसके की टीम द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। वहीं 6 से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिये विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया जाता है। किसी बच्चे में रोग संबंधी लक्षण मिलने पर संबंधित चिकित्सा केंद्र पर उनका सुचारू इलाज सुनिश्चित कराया जाता है। इलाज का सारा खर्च सरकार वहन करती है। यहां तक कि आने-जाने का खर्च भी उपलब्ध कराने का प्रावधान है। योजना के तहत अब तक गंभीर रोग से ग्रसित 26 बच्चों का सफल इलाज संभव हो सका है।