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पटना पालीगंज लॉकडाउन में कोच‍िंंग संचालक भुखमरी के कगार पर; कोरोना से तो लड़ सकते पर भूख से नहीं - प्रेम कुमार पुरूषोतम

रिपोर्ट - नितीश कुमार

जिला - पटना

पटना। पालीगंज कोरोना संक्रमण के कारण लगातार डेढ़ वर्षों से लॉकडाउन है। इसने छात्र, शिक्षा और प्राइवेट शिक्षकों को बुरी तरह से बर्बाद कर दिया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण राज्य में प्राइवेट शिक्षकों की कमर भी टूट चुकी है।

पालीगंज में ही हजारों प्राइवेट कोचिंग सेंटर हैं, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों को शिक्षित करने का काम किया जाता है। इन कोचिंग संस्थानों से पढ़कर बच्चे आइएएस, आइपीएस, इंजीनियरिंग, मेडिकल, बैंक, रेलवे, पॉलीटेक्निक और एसएससी सहित अन्य क्षेत्रों में अपना भविष्य बनाते हैं। इसमें अहम भूमिका इन कोचिंग संस्थान तथा यहां पढ़ा रहे प्राइवेट शिक्षकों को जाता है। वही पालीगंज से सटे चंढोस बजार मे  काफि पुराना जी. पी. क्लासेज के संस्थापक प्रेम कुमार पुरूषोतम ने लगतार गिरती आर्थिक स्थिति  पर यह व्यथा व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि हम कोरोना से तो लड़ सकते हैं, लेकिन भूख से नहीं। आज कोचिंग संस्थान और उसमें पढ़ने वाले प्राइवेट शिक्षकों की स्थिति बहुत ही बदतर हो चुकी है। लॉकडाउन के कारण लगातार कोचिंग संस्थान बंद होने से आमदनी पूरी तरह से ठप है। शिक्षकों की स्थिति हाथ फैलाने वाली बन चुकी है। साथ ही कोचिंग संस्थान के ऊपर किराया

बिजली बिल, मेंटनेंस समेत अन्य खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है। बिन किए गए अपराध की सजा मिल रही है। किसी के सामने हाथ नहीं फैलाने वाले आत्मनिर्भर शिक्षक आज अपने जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर हो चुके हैं।हम में से बहुत ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर और शुगर का शिकार हो गए हैं। उनके पास दवा के लिए भी पैसा नहीं है। इनका जीवन लॉकडाउन में कैसे चलेगा। यह चिंता का विषय है। करोना वायरस से जितना हम नहीं मरेंगे उससे कहीं ज्यादा भूख और कर्ज से मर जाएंगे। सरकार को भी इस मामले पर शीघ्र ही हमारे हित में निर्णय लेना होगा। अन्यथा विवश होकर हमें आंदोलन करना पड़ेगा।