न्यूज़ डेस्क। जहां देश में इस समय लोग कोरोना वायरस के कारण और ऑक्सीजन सिलेंडर ना मिलने के कारण दम तोड़ रहें है, वहीं दूसरी ओर पटना में गर्दनीबाग स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के कैंपस में 36 ब्रांड न्यू ऑक्सीजन सिलेंडर कचरे में फेंका हुआ मिला है।
पटना के सभी निजी एवं सरकारी अस्पताल इस समय ऑक्सीजन सिलेंडर की मार झेल रहा है कई लोग ऑक्सीजन सिलेंडर ना मिलने के कारण दम तोड़ चुके है और कई मरीज़ अभी भी ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजार कर रहें है। इस समय काला बाजारी करने वाले गिरोह एक ऑक्सीजन सिलेंडर का 40 से 50 हज़ार रुपए तक वसूल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कचरे के ढेर में ब्रांड न्यू ऑक्सीजन सिलेंडरों का यूं फेंका मिलना अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है।
फिलहाल जब मीडिया में ऑक्सीजन सिलेंडर के यूं फेके मिले जाने की ख़बर आई तो प्रशासन भी एलर्ट मोड पर आया, पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह खुद मौके पर पहुंच कर पुरे मामले का जायज़ा लिया। अपने बयान में डीएम साहेब ने सफाई दी की दरअसल यह सिलेंडर फेके नही गए बल्कि जगह के अभाव के कारण बाहर रखें गए हैं, फिर आननफानन में कर्मचारी सभी सिलेंडरों को उस जगह से हटा दिया।
इसी प्रकार की घटना हाल ही में एक बीजेपी सांसद के कार्यालय से भी आई थी, जहां दर्जनों एंबुलेंस को बंद कर के रखा गया था।
एक तरफ़ जहां मजूदा हालात में लोगों को अपने मरीजों को साईकिल, रिक्शा, ऑटो, ठेला जैसे साधन से अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। मृत्यु के बाद तो हालत और भी बुरी हो जा रही है। शवों को ले जाने को एंबुलेंस वाले तैयार नहीं होते और अगर तैयार भी हो जाते हैं तो मनमाना किराया मांगते हैं। ऐसे में गरीब अपने परिजन का शव ठेला,ऑटो,रिक्शा, ट्रेक्टर और नहीं तो जेसीबी मशीन से ले जाने को मजबूर हैं ऐसे में सरकार कहीं ना कहीं इसकी जिम्मेदार जरूर है। देखें वीडियो क्लिप