मधुबनी नगर से संवाददाता फिरोज आलम की रिपोर्ट। मधुबनी सहित पूरे मिथिलांचल में जितिया का पर्व श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जा रहा है। जितिया करने वाली व्रती निर्जला उपवास रखकर इस व्रत को पूरा करेंगी। जितिया पर्व की कथाएं बहुत पुरानी है। इस पर्व को हर माँ अपने बच्चे के लिए करतीं हैं। इस पर्व का 3 दिनों तक किया जाता है।
जिसमें पहले दिन माछ मरुआ खाकर के पर्व करने वाली महिलाएं खाती हैं। दूसरे दिन उपवास रखा जाता है और तीसरे दिन चिल्हो सियारों को खीरा ओकरी चढ़ाकर इस पर्व का विसर्जन किया जाता है। व्रती अपने संतान की सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना किया जाता है । एक निर्जला व्रत है उपवास के दिन महिला,पूरे दिन भगवान जितीबाहन को प्राथर्ना करती हैं।
जिउतिया व्रत की ऐसी मान्यता है की जिउतिया व्रत करने से संतान की आयु में वृद्धि होती है और उनके रोग दोष दूर हो जाते हैं। यह पर्व आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन दिन के लिए मनाया जाता है। इस व्रत के पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले जागकर स्नान करके पूजा करती हैं, फिर एक बार भोजन ग्रहण करती हैं उसके बाद पूरा दिन निर्जला रहती हैं।