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प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज में नाटक नागरदोला का प्रभावशाली मंचन





"प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025, प्रयागराज"

प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 के अंतर्गत आज दिनांक 12 नवंबर 2025, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज में नाटक ‘नागरदोला’ का प्रभावशाली मंचन किया गया। कथासार से लेकर अभिनय तक, प्रस्तुति ने प्रेम की अमर शक्ति और समाज की विसंगतियों को बिल्कुल नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। नाटक का निर्देशन बिजेन्द्र कुमार टॉक द्वारा किया गया।




नाटक ‘नागरदोला’ प्रेम के उस अटूट सत्य को सामने लाता है, जिसे न तो समय मिटा पाता है, न ही समाज की कठोर व्यवस्था। मंच पर गूंजते आरंभिक संवाद
“प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय…”
दर्शकों को सीधे उस भावलोक में ले जाते हैं जहाँ प्रेम किसी अधिकार, किसी कानून, किसी भय का मोहताज नहीं।

कहानी दुर्गापुर के दंगल से शुरू होती है, जहाँ चूहड़ की जीत की जयकार गूंज रही है। लेकिन यह चूहड़ केवल एक पहलवान नहीं—एक प्रतीक है। प्रतीक उस प्रेम का, जो कभी मरता नहीं।
नाटक यह सवाल उठाता है कि क्या समय, हिंसा, जाति और समाज की कठोरता किसी प्रेम कथा को खत्म कर सकती है ?
उत्तर है - नहीं।
जिस तरह रेशमा और चूहर की कथा युगों से जीवित है, उसी तरह आज भी यह कहानी समाज के दिलों में धड़कती है। नाटक में दिखाया गया दूसरा चूहड़ उसी प्रेम का पुनर्जन्म है, संघर्षों के बीच भी अडिग, अजेय और अमर।
‘नागरदोला’ केवल प्रेम की कथा नहीं, बल्कि समाज की उस घिसी-पिटी मानसिकता पर चोट है जो प्रेम को नियंत्रित करना चाहती है। प्रस्तुति ने कलात्मक रूप से दिखाया कि प्रेम न तो मिट्टी में दबता है, न आग में जलता है, और न ही किसी हथियार से मारा जा सकता है। रेशमा की भूमिका में अपराजिता ने अपने सशक्त भाव-अभिनय से दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरीं, वहीं चूहड़मल के पात्र में ज़फ़र आलम ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति और दमदार अभिनय से मंच पर गहरी छाप छोड़ी। दर्शकों ने नाटक के संवादों, पात्रों और प्रस्तुति को ज़ोरदार सराहना दी। नाटक अपने साथ एक गहरी मानवीय संवेदना और प्रेम की अनश्वरता का संदेश छोड़ गया।




मंच पर
सूत्रधार/अघोड़ी सिपाही : रोहित चंद्रा
सूत्रधार/ अघोड़ी सिपाही : अभिषेक आनंद 
चूहड़मल: मोo जफ्फर आलम
मरकहे पंडित : स्मर्श मिश्रा
कुट्टा बहाली : राहुल रंजन 
बसंता : आदित्य कुमार 
गूंगा : सोनू राज 
ग्राहक : प्रिंस राज 
रेशमा : अपराजिता कुमारी 
बड़ी मां: शाईस्ता ख़ान 
लुती : श्रीपर्णा चक्रबर्ती
लाहो: प्रतिमा भारती 

मंच परे
मंच निर्माण : सुनील कुमार
प्रकाश : विनय कुमार 
सहयोग : लालबाबू कुमार
रूप सज्जा: जितेंद्र कुमार जीतू
ध्वनि इफेक्ट : राजीव रॉय 
संगीत संयोजन : रोहित चंद्रा
सारंगी : अनीश मिश्रा
संगीत : संजय उपाध्याय
अभिकल्पक : अभिषेक राज ड्रामेबाज़
आलेख : रवींद्र भारती
निर्देशन : बिज्येंद्र कुमार टांक




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