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माननीय अध्यक्ष का संबोधन,अध्यक्ष:कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन श्रीमदभगवत गीता





माननीय सदस्यगण, मैं आप सभी को हृदय से धन्यवाद करता हूँ । आपने सर्वसम्मति से मुझे इस महान संस्था और लोकतंत्र के मंदिर का अध्यक्ष चुना । यह केवल मेरे प्रति विश्वास ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक परंपराओं, संसदीय शिष्टाचार के प्रति आपकी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है ।

18वीं बिहार विधान सभा का गठन ऐसे समय में हुआ है जब हमारा राज्य विकासात्मक आकांक्षाओं के एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है । जनता ने ऐतिहासिक जनमत देकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वे संवाद, समाधान, सहयोग और विकास की राजनीति को प्राथमिकता देती हैं ।





अध्यक्ष के रूप में मेरा प्रथम कर्त्तव्य होगा कि मैं सदन की परंपराओं के संरक्षण के साथ-साथ संविधान एवं सदन के संचालन संबंधी नियमों का पालन करते हुए, प्रत्येक सदस्य को उसके अधिकार और सम्मान के साथ अपने विचार रखने का अवसर दूँ । मुझे विश्वास है कि इस सदन में वाद विवाद का फलाफल बिहार के भविष्य को अधिक उज्ज्वल बनाने में सहायक सिद्ध होगा । महात्मा गाँधी ने कहा था- भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या करते हैं ।

सर्वसम्मति से चुना जाना मेरे लिए गौरव का विषय है, परंतु इससे कहीं अधिक यह उत्तरदायित्व का संकेत है । लोकतंत्र की सुंदरता इसी में है कि विविध विचारधाराएँ एक ही टेबल पर बैठकर राज्य के विकास हेतु सार्थक चर्चा करें । जनता की यह इच्छा है कि बिहार तेजी से विकसित हो, पारदर्शी ढंग से संचालित हो और विधायिका का प्रत्येक निर्णय जनता के जीवन को सहज, सुरक्षित और समृद्ध बनाए ।




हम सब पर यह उत्तरदायित्व है कि इस विश्वास को हम अपनी निष्ठा, विनम्रता एवं प्रतिबद्धता के साथ निभाएँ क्योंकि लोकतंत्र की शक्ति उसके जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता और सदन की मर्यादा में निहित होती है । इसीलिए आवश्यकता है कि हम विचारों की विविधता के बीच संवाद के पुल बनाएँ और असहमति को भी सम्मान देते हुए नीतियों की दिशा तय करें और विकास की गंगा बहाएँ ।

माननीय सदस्यगण, आज का यह क्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है । नई विधान सभा नई ऊर्जा और नए संकल्पों के साथ आरंभ हो रही है । परंपराएँ हमें गरिमा देती हैं, और नवाचार हमें दिशा । आवश्यक यह है कि दोनों के बीच संतुलन बनाते हुए हम ऐसा कार्यकाल रचें जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बने । जहाँ तक विचारों के टकराव का प्रश्न है तो यह स्वाभाविक है, परंतु मन का और तन का संघर्ष कभी नहीं होना चाहिए । यह हम सबका सौभाग्य है कि हमें जनता की सेवा का अवसर मिला है ।




मैं आश्वस्त करता हूँ कि अध्यक्ष के आसन पर रहते हुए मेरे लिए सरकार और विपक्ष दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण होंगे । हमारा उद्देश्य एक ही है-बिहार की जनता की प्रगति और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति । 

मैं सदन के वरिष्ठ सदस्यों से मार्गदर्शन, अनुभवी सदस्यों से सहयोग तथा पहली बार निर्वाचित सदस्यों से ऊर्जा और नवीन दृष्टि की अपेक्षा करता हूँ ।

सदन के संचालन में मैं आधुनिक संसदीय प्रथाओं, डिजीटल विधायी प्रक्रियाओं और ई-गवर्नेंस आधारित सुधारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करूँगा । मैं पूर्व अध्यक्ष जी का आभारी हूँ कि उनके प्रयास से यह सदन डिजीटल विधायी संस्था के रूप में विकसित हो पाया है ।

यह समय है कि बिहार विधान सभा स्मार्ट लेजिस्लेटिव गवर्नेंस का मॉडल बने ।

माननीय सदस्यगण, पिछली विधान सभा के भंग होते ही उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त हो गया है और उपाध्यक्ष के रहने से विधान सभा के कार्य संचालन में सहूलियत होती है । अतः मैं उपाध्यक्ष के निर्वाचन की तिथि 04-12-2025 को नियत करता हूँ । इसके लिए कल 12 बजे दिन तक नामांकन प्रस्ताव की सूचना दी जा सकती है ।

अंत में, मैं पुनः इस सदन के प्रत्येक सदस्य को कहना चाहता हूँ कि अध्यक्ष के रूप में, मैं पूर्ण निष्पक्षता, अनुशासन, मर्यादा और संवाद की प्रकृति व संस्कृति को बनाए रखते हुए कार्य करूंगा । मैं इस अवसर पर सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ । आप सबके विचार और दृष्टिकोण इस सदन को अवश्य समृद्ध करेंगे । स्वामी विवेकानंद ने कहा था- केवल वे ही जीवित रहते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं ।

आइए, हम सब मिलकर इस कार्यकाल को जनहितकारी नीतियों और लोकतांत्रिक व्यवहार का एक स्वर्णिम अध्याय बनाएँ ।

हम पड़ाव को समझे मंजिल, लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल, वर्तमान के मोहजाल में, आने वाला कल न भूलाएँ- आयें फिर से दिया जलाएँ ।

आप सभी को एक बार पुनः धन्यवाद । जय बिहार ।


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