ज्ञात हो कि दिनांक 25 सितम्बर, 2025 को लोक पंच द्वारा बिहार के तीन जिलों में नुक्कड़ प्रस्तुतियां की गयी। पहला नाटक स्वच्छ भारत अभियान पर आधारित था, जिसे गांधी मैदान, एसबीआई बैंक, पटना में सुबह 12 बजे प्रस्तुत किया गया।
दूसरा नाटक "नाट्य शिक्षक की बहाली" को भगवानपुर बाजार, हाजीपुर में दोपहर 2 बजे तथा रेड क्रॉस भवन, में अपराहन 4 बजे प्रस्तुत किया गया।
"नाटक का कथासार"
इस नाटक के माध्यम से बिहार बिहार सरकार को यह बताने की कोशिश है कि बिहार में नाटय शिक्षक की बहाली हो और बरसों से चलता आ रहा भारत सरकार का इंडिविजुअल ग्रांट पुनः चालू किया जाए| नाटक में रंगकर्मियों के व्यक्तिगत जीवन के संघर्ष की अलग अलग कहानियों को दिखाया गया है। जिसमें एक रंगकर्मी के जीवन के उस पहलू को उकेरा गया है जहाँ वो पढ़ाई के बाद भी अपने परिवार और समाज में उपेक्षित है, उन्हें स्कूल, कॉलेज में एक अदद नाट्य शिक्षक की नौकरी भी नहीं मिल सकती क्योंकि हमारे यहां नाटक के शिक्षकों की बहाली का कोई नियम नहीं है, इस मुखर सवाल पर आकार नाटक दर्शकों के लिए रंगकर्मियों के जीवन संघर्ष से जुड़ा निम्न सवाल भी छोड़ जाता है। नाटक खत्म होने के बाद दर्शक तालियां बजाते हैं, स्मृति चिन्ह देकर व ताली बजाकर दर्शक उन्हें सम्मानित करते हैं। यही रंगकर्मी जब अपने घर पहुंचते हैं तो घर में इन से बेहूदा किस्म के प्रश्न पूछे जाते हैं। क्या कर रहे हो? नाटक करने से क्या होगा? लोग तुम्हें लौंडा कहते हैं। नाचने वाला कहते हैं। यह सब करने से रोजी-रोटी नहीं चलेगा। कोई अच्छी घर की लड़की का हाथ तक नहीं मिलेगा। इस तरह के अनगिनत ताने सुनने पड़ते हैं फिर भी रंगकर्मी यह सब सहने के बावजूद रंगकर्म करते रहते हैं। नाटक के माध्यम से रंगकर्मी सरकार से मांग करते हैं की स्कूल और कालेजों में नाट्य शिक्षक की बहाली हो। सरकार रंगकर्मियों को नौकरी दे, उन्हें रोजगार दे तभी वे भी खुलकर समाज का साथ दे सकते हैं।
"नाटक का पात्र परिचय"
मंच पर: रजनीश पांडे, अभिषेक राज, सहर्ष शुभम, अरबिंद कुमार, सोनल कुमारी, रोहित, राम प्रवेश, मनोज शुक्ला एवं मनीष महिवाल।
मंच परे :
नाल : मनोज शुक्ला
खंजरी : अरविंद कुमार
प्रस्तुति नियंत्रक : राम प्रवेश
लेखक- निर्देशक : मनीष महिवाल।
साइबर क्राइम पर आधारित तीसरा नाटक ‘मैं मूर्ख नहीं हूं’ को मुजफ्फरपुर में प्रस्तुत किया गया।
"नाटक का कथासार"
नाटक पति-पत्नी की नोक- झोंक से शुरू होता है। इस दौरान एक फोन आता है और ओटीपी माँगा जाता है। पत्नी उसे ओटीपी देने लगती है तो पति मन करता है, पर पत्नी ओटीपी दे देती है और बाद में बताती है कि मुझे मालूम है कि वह मेरे साथ फ्रॉड कर रहा था, पर मैंने उसे गलत ओटीपी दे दिया। मुझे मालूम है ओटीपी शेयर करने से नुकसान होता है। हम गांव से आए हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम बेवकूफ है।
अगले दृश्य में एक व्यक्ति अपने मित्र से बकाया पैसे मांगता है, और इसी बातचीत के दौरान पता चलता है कि मित्र का फेसबुक अकाउंट किसी ने हैक कर रखा है और वह उसके मित्रों से पैसा मांग रहा है। फिर ऐसी फेक और फ्रॉड साइबर क्राइम करने वाले से सावधान रहने की बात बताई जाती है। अगले दृश्य में अनजान और फ्रॉड लिंक पर क्लिक करने का क्या परिणाम होता है, यह दिखाया गया है। नाटक में अमर गायक मोहम्मद रफी के गाए हुए गीत (बार-बार के तोहरे कमईयया चोरवा ना ले जाए, जगत रहा भैया तू सोए मत जाइए) को रखा गया है जिसके माध्यम से जालसाज़ और साइबर अपराधियों से अपने धन को बचाने की बात कही जाती है। इसके अलावा और कई गीतों का नाटक में इस्तेमाल किया गया है।
"नाटक का पात्र परिचय"
मंच पर: रजनीश पांडे, अभिषेक राज, सहर्ष शुभम, अरबिंद कुमार, सोनल कुमारी, रोहित कुमार, अजीत कुमार, मनोज शुक्ला एवं मनीष महिवाल।
मंच परे :
नाल : मनोज शुक्ला
खंजरी : अरविंद कुमार
प्रस्तुति नियंत्रक : राम प्रवेश
लेखक- निर्देशक : मनीष महिवाल
प्रस्तुति : लोक पांच