नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025: राज्यसभा सांसद डॉ. भीम सिंह ने आज रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर गयाजी से सूरत के लिए सीधी रेल सेवा शुरू करने और उधना-दानापुर एक्सप्रेस को प्रतिदिन संचालित करने की माँग की। इसके साथ ही उन्होंने गया से नई दिल्ली के लिए वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के संचालन की भी पुरज़ोर वकालत की।
डॉ. सिंह ने रेल मंत्री को सौंपे गए पत्र में कहा कि गुजरात के सूरत शहर में पाँच लाख से अधिक प्रवासी बिहारी नागरिक रहते हैं जो पर्व-त्योहारों और अन्य अवसरों पर बिहार लौटना चाहते हैं, लेकिन गयाजी से सूरत के लिए कोई सीधी ट्रेन न होने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि गयाजी हिन्दुओं का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ पितृपक्ष मेला के दौरान देशभर से लाखों श्रद्धालु पिंडदान करने पहुँचते हैं। गुजरात से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं, अतः गया-सूरत सीधी रेल सेवा से प्रवासियों और श्रद्धालुओं दोनों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उधना–दानापुर एक्सप्रेस सप्ताह में मात्र दो दिन संचालित होती है, जबकि यात्रियों की संख्या और भीड़ को देखते हुए इसे प्रतिदिन चलाना आवश्यक है।
इसके साथ ही साथ डॉ. भीम सिंह ने रेल मंत्री से गया से दिल्ली के बीच वंदे भारत स्लीपर एक्सप्रेस की शुरुआत की माँग करते हुए कहा कि बोधगया एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थस्थल है जहाँ प्रतिवर्ष हज़ारों विदेशी और देशी पर्यटक आते हैं। उन्होंने पितृपक्ष मेला के दौरान यात्रियों की सुविधा को देखते हुए इस मार्ग पर तेज़ और आधुनिक रेल सेवा की आवश्यकता जताई।
उन्होंने विशेष रूप से अनुरोध किया कि इस प्रस्तावित वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का एक ठहराव अनुग्रह नारायण रोड (औरंगाबाद) स्टेशन पर भी हो, जिससे एनटीपीसी और रेलवे के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों को भी दिल्ली तक सुविधाजनक यात्रा मिल सके। साथ ही उन्होंने झारखंड के पलामू और चतरा जिलों के यात्रियों की ज़रूरतों का हवाला देते हुए कहा कि यह ट्रेन उन क्षेत्रों को भी दिल्ली से सीधे जोड़ेगी।
डॉ. भीम सिंह ने इन दोनों मांगों को जनता के व्यापक हित से जुड़ा बताते हुए रेल मंत्री से शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया और कहा कि इससे बिहार, झारखंड और गुजरात के लाखों नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
रेल मंत्री ने डॉ सिंह की बातों को गौरपूर्वक सुना, आवेदनों पर कुछ लिखा और मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया.
(डॉ० भीम सिंह)