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मेक इन बिहार का रेल इंजन दौड़ेगा गिनी में



 
  • मढ़ौरा का ऐतिहासिक कदम, वैश्विक पटरियों पर दौड़ेगा भारत में बना कोमो लोकोमोटिव
  • पहली बार भारत का कोई राज्य वैश्विक बाजार के लिए इंजन करेगा निर्यात
  • गिनी को निर्यात किया जा रहा है मढ़ौरा में बना रेल इंजन
  • अब बिहार लिखेगा नई इबारत “मेड इन बिहार, मेक फॉर द वर्ल्ड"

पटना, 18 जून।

बिहार के छपरा जिले का मढ़ौरा, जो कभी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में दर्ज था, अब भारत की औद्योगिक क्रांति के नए अध्याय के साथ जुड़ रहा है। इस लोकोमोटिव फैक्ट्री में बना इंजन पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आगामी 20 जून को रेल इंजन की खेप की रवाना करेंगे।




यहां की वेबटेक डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री ने न सिर्फ भारतीय रेलवे को नई ऊर्जा दी है, बल्कि अब यह संयंत्र भारत को वैश्विक लोकोमोटिव मेन्युफेक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहा है। जो पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के विजन को मूर्त रूप तो देगा ही, साथ ही सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के सपने को भी साकार करेगा। 

 अब तक 729 डीजल इंजन बन चुका है वेबटेक

यह फैक्ट्री वेबटेक इंक और भारतीय रेलवे का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें वेबटेक का 76 फीसद और रेलवे का 24 फीसद शेयर है। 2018 में स्थापित यह संयंत्र अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बना चुका है। इनमें 4500 HP के 545 और 6000 HP के 184 इंजन शामिल हैं। इस संयंत्र के वैश्विक लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के बाद इसकी क्षमता कई गुना बढ़ाने वाली है।

 पहली बार भारत का कोई राज्य वैश्विक बाजार के लिए इंजन करेगा निर्यात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" विजन को बिहार में साकार करती यह फैक्ट्री अब "मेक इन बिहार – मेक फॉर द वर्ल्ड" के मंत्र को गूंज दे रही है। पहली बार भारत के किसी राज्य से वैश्विक बाजार के लिए लोकोमोटिव इंजन का निर्माण और निर्यात हो रहा है।



26 मई 2025 को दक्षिण अफ्रीका के गिनी देश के तीन मंत्रियों ने संयंत्र का दौरा किया था। इसके बाद 140 लोकोमोटिव इंजनों की डील फाइनल की गई थी। जिसका नाम "(कोमो) KOMO" दिया गया था। यह डील करीब 3000 करोड़ रुपये की है। मढ़ौरा के लिए यह सिर्फ एक व्यापारिक समझौता नहीं, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की नई भूमिका का प्रमाण है।

अब स्थानीय से वैश्विक हुआ लोकोमोटिव संयंत्र

226 एकड़ में फैली यह फैक्ट्री न सिर्फ लोकोमोटिव बनाती है, बल्कि स्थानीय रोजगार और सप्लाई चेन को भी मजबूती देती है। लगभग 40-50 फीसद पार्ट्स भारत के विभिन्न राज्यों – महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, जमशेदपुर – से आते हैं, जबकि कुछ विशेष इंजन अमेरिका से मंगाए जाते हैं। लेकिन अब निर्यात के बढ़ते ऑर्डर और ग्लोबल स्टैण्डर्ड गेज इंजन की मांग को देखते हुए संयंत्र अपनी क्षमता विस्तार की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

 वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर उभरेगा बिहार

यह परियोजना न सिर्फ भारत की उत्पादन शक्ति को दिखाती है, बल्कि यह बिहार जैसे राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी भी बनाएगा। इससे न केवल स्थानीय युवाओं को तकनीकी रोजगार मिलेगा, बल्कि स्थानीय सप्लायर नेटवर्क भी मजबूत होगा। वहीं, भारत को पहली बार डीजल लोकोमोटिव के क्षेत्र में वैश्विक निर्यातक बनने का अवसर भी मिलेगा। यह बिहार के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। जो पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के विजन को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा।

भारत के नहीं दुनिया के लिए दौड़ेगा लोकोमोटिव

मढ़ौरा का लोकोमोटिव अब सिर्फ भारत के लिए नहीं, दुनिया के लिए दौड़ेगा – यही है मेक इन बिहार की असली शक्ति! यह सिर्फ एक फैक्ट्री की सफलता नहीं, बल्कि बिहार की प्रतिभा, भारत की तकनीक और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव का प्रमाण है।