न्यूज़ डेस्क। दिल्ली दंगों के आरोपी और देशद्रोह के केस में जेल में शरजील इमाम का परिवार एक बार फिर चर्चा में है। शरजील के जेल जाने बाद पहली बार परिवार वालों के चेहरे पर मुस्कान दिखी। यह मुस्कान किसी और ने नहीं बल्कि शरजील चचेरी बहन और जहानाबाद की बेटी फरहा निशात (28) ने दी।
फरहा बीपीएससी की ओर से ली गई 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर ली है। इस सफलता बाद वो जज बनेंगी। उनकी इस उपलब्धि से परिवार के साथ-साथ पूरा जहानाबाद गर्व का अनुभव कर रहा है। फरहा विशेषकर महिलाओं और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
बताया जा रहा है कि फरहा की प्रारंभिक शिक्षा काको में हुई। उनकी मां अकबरी खातून गृहिणी हैं, और पिता निशात अख्तर सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं। फरहा ने क्लैट परीक्षा पास करने के बाद हिदायतुल्लाह नेशनल यूनिवर्सिटी, रायपुर से 2018 में कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में लॉ क्लर्क सह रिसर्च असिस्टेंट के रूप में काम किया और न्यायिक प्रक्रिया को करीब से समझा। इसके बाद उन्होंने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
परिजनों को दिया सफलता का श्रेय फरहा अपनी सफलता का श्रेय माता पिता, बहन बहनोई और छोटे भाई बहनों को देती हैं। उन्होंने सेल्फ स्टडी और परिवार के मार्गदर्शन के साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की, जबकि इंटरव्यू के लिए आंशिक रूप से संस्थानों की मदद ली। फरहा को किताबें पढ़ने, बच्चों को पढ़ाने और सीरियल देखने का शौक है। उन्होंने कहा कि वह त्वरित और न्यायपूर्ण फैसलों के जरिए समाज की सेवा करने का संकल्प रखती है। लॉ की डिग्री लेने के बाद मैंने इंर्टनशिप पूरी की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जिसके बाद मैने जॉब शुरू की। फिर मुझे ख्याल आया कि कुछ अलग कर आगे बढ़ा जाए। मैंने तैयारी शुरू की। इसके लिए प्रतिदिन आठ से दस घंटे तक पढ़ाई करती थी। फरहा के इस कामयाबी से लोग काफी खुश हैं और उन्हें शाबाशी दे रहे हैं।
शरजील के भाई ने सोशल मीडिया पर लिखी यह बात इधर, शरजील के छोटे भाई मुज्जम्मिल इमाम ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी और लिखा कि जिंदगी का यही फलसफा है। एक तरफ भाई ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने के खातिर जेल में तो दूसरी तरफ बहन ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ देने खातिर अब जज की कुर्सी पर बैठेंगी। छोटी बहन फरहा निशात 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण हुई। मुझे उम्मीद है कि अपने कार्यकाल में तुम अपने फैसलों से किसी बेगुनाह के साथ ज़ुल्म नहीं होने दोगी।