डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेन्सी के चित्तूर जिले के तिरूत्तनी ग्राम के एक तेलुगुभाषी ब्राह्मण परिवार में 05 सितम्बर 1888 को हुआ था। राधाकृष्णन का बाल्यकाल तिरूतनी एवं तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही व्यतीत हुआ। उन्होंने प्रथम आठ वर्ष तिरूतनी में ही गुजारे। वह बचपन से ही मेधावी थे।दर्शनशास्त्र में एम०ए० करने के बाद 1918 में वे मैसुर महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। बाद में उसी कॉलेज में वे प्राध्यापक भी रहे। डॉ॰ राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया। सारे विश्व में उनके लेखों की प्रशंसा की गयी। 1908 में उन्होंने एम० ए० की उपाधि प्राप्त करने के लिये एक शोध लेख भी लिखा।डॉ॰ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबन्धन करना चाहिए।डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान शिक्षक थे। 1909 में 21 वर्ष की उम्र में डॉ॰ राधाकृष्णन ने मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में कनिष्ठ व्याख्याता के तौर पर दर्शन शास्त्र पढ़ाना प्रारम्भ किया।सन् 1931 से 36 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे। कलकत्ता विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 1941 तक कार्य किया।सन् 1939 से 48 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर रहे। 1953 से 1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे। उन्होंने अपने जीवन के अमूल्य 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में इस देश के भविष्य को संवारने में दिये थे। डा. राधाकृष्णन का जीवन हमें उच्च गुणों को आत्मसात कर एक आदर्श शिक्षक बनने की प्रेरणा देता है। 1952 में सोवियत संघ से आने के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति निर्वाचित किये गये। इनकी सदाशयता, दृढ़ता और विनोदी स्वभाव को लोग आज भी याद करते हैं। देश के पूर्व राष्ट्रपति, भारतीय संस्कृति के संवाहक,महान शिक्षाविद तथा भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मान भारत-रत्न की उपाधि से विभूषित डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन 05 सितबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।उनका जन्मदिन 05 सितम्बर भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता हैं।1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। 17 अप्रैल 1975 को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया।
- Home-icon
- बिहार
- _आरा
- _औरंगाबाद
- _छपरा
- _जोगबनी
- _दरभंगा
- _नवगछिया
- _नालन्दा
- _नासरीगंज
- _पूर्णिया
- _फारबिसगंज
- _बक्सर
- _बगहा
- _बासोपट्टी
- _बिहार
- _बेगूसराय
- _भागलपुर
- _मधुबनी
- _मनोरंजन
- _मुंगेर
- _मोतिहारी
- _राजनगर
- _राज्य
- _रोहतास
- _लदनिया
- _वैशाली
- _शेखपुरा
- _समस्तीपुर
- _सासाराम
- _सिवान
- _सुपौल
- _सोनपुर
- _हाजीपुर
- _गया जी
- _पटना
- झारखंड
- _रांची
- _जमशेदपुर
- _धनबाद
- अन्य राज्य/शहर
- Video
0 टिप्पणियाँ
if you have any doubts, please let me know.