- गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेबल को नियंत्रित रखना जरूरी
- ब्लड शुगर अनियंत्रित रहने से नवजात की सेहत होती है प्रभावित
- शरीर का वजन, ब्लडप्रेशर व कॉलेस्ट्रॉल का बढ़ना डायबिटीज का कारण
अररिया, 06 दिसंबर ।
SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं का ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। इसे गर्भकालीन डायबिटीज यानी गेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। बच्चा जन्म लेने के बाद ये बीमारी आमतौर पर खत्म हो जाती है। लेकिन इससे गर्भावस्था के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल का नियंत्रित होना जरूरी है। वर्ष 2014 में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा किये गये एक सर्वे में पाया गया कि अधिक उम्र में मॉ बनना, वजनी महिलाएं, पूर्व में इससे जुड़ी शिकायत या परिवार में किसी व्यक्ति के डायबिटीक होने पर इसका खतरा अधिक होता है।
गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत होती है प्रभावित
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकरी सह सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ मोईज ने बताया कि ब्लड शुगर अनियंत्रित रहने से समय से पूर्व बच्चे के जन्म का खतरा काफी बढ़ जाता है। गर्भ में बच्चे को उनकी मां से ही सभी तरह का पोषण मिलता है। मां का शुगर अधिक रहने पर बच्चे का सही से पोषण नहीं हो पाता। बच्चे का शुगर लेवल भी बढ़ जाता है। जो फैट के रूप में जमा होने लगता है। इसके प्रभाव से बच्चा का वजन बढ़ता है।
समय से पूर्व प्रसव का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, बच्चे का पीलिया से ग्रसित होने, सांस से जुड़ी तकलीफ के साथ-साथ बच्चों में मोटापा की आशंका रहती है।
ब्लड शुगर नियंत्रित रखने के लिये करें जरूरी पहल
गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिये जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं अपने खान पान पर समुचित ध्यान दें। सक्रिय जीवनशैली, चिकित्सकीय देखभाल, ब्लड शुगर लेवल की समुचित निगरानी जरूरी है। प्रसव पूर्व चार एएनसी जांच को उन्होंने इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण बताया। कार्बोहाइड्रेड का कम सेवन, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई व चाय के अत्यधिक सेवन से उन्होंने परहेज करने की सलाह दी।
नियमित जीवनशैली व संतुलित आहार से बचाव संभव
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह बताते हैं कि आज कल हर आयु वर्ग के लोग डायबिटीज से प्रभावित हो रहे हैं। अनियमित दिनचर्या व खानपान, शारीरिक श्रम से दूरी, तनाव सहित कई अन्य कारणों से लोग तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं। इसलिये समय समय पर ब्लड शुगर लेवल की जांच जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान तो ये और भी जरूरी हो जाता है। क्योंकि इस दौरान शुगर लेवल बढ़ने का नकारात्मक प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। बचाव के लिये महिलाओं को हल्का फुल्का व्यायाम को अपने जीवनशैली में शामिल करना चाहिये। वजन को नियंत्रित रखने, खान पान में समुचित हरी पत्तेदार सब्जी व फल का अधिक से अधिक उपयोग के साथ साथ समय समय पर सेहत की समुचित जांच से इससे बचाव संभव है।