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नुरुद्दीन जंगी की पत्नी ने सरकार से उन्हें रिहा करने की लगाई गुहार।




न्यूज़ डेस्क। राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ मामले में गिरफ्तार हुए दरभंगा शहर के ऊर्दू निवासी नूरउद्दीन की पत्नी ने बिहार सरकार से उन्हें रिहा करने की गुहार लगाई है। पत्नी गुलनाज बानो ने कहा कि उनके पति निर्दोष हैं। उन्हें फंसाया जा रहा है। इसको लेकर उन्होंने एक पत्र बिहार सरकार को लिखा है।

अपने पत्र में गुलनाज ने कहा कि उसके पति पेशे से एक वकील हैं, जिन्होंने वकालत की डिग्री ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से सन 2017 में हासिल किया है और वो दरभंगा बार काउंसिल के रजिस्टर्ड अधिवक्ता हैं। अब दिल्ली में ही रहकर वकालत करते हैं, जिसमें वह पीएमएलए और ईडी के केस को देखते हैं और वह केस के संबंध में वह ज्यादातर दिल्ली में रहते हैं और लखनऊ भी आते जाते रहते हैं।

उसके पति नुरुद्दीन जंगी बकरईद में घर 8 जुलाई को आए थे और 13 जुलाई को फुलवारी शरीफ के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार की तरफ से उनको बुलाया गया तो वो वहा फुलवारी थाना में जाकर उस केस के संबंध में जानकारी लिए थे। क्योंकि, उनका 15 जुलाई को लखनऊ अदालत में सुनवाई थी तो वो 14 को लखनऊ के लिए निकल गए और उन्होंने 15 जुलाई को लखनऊ में अपना केस भी देखा और शाम तक फोन पे बात भी हुई।

इसके बाद रात 8 बजे का बाद से उनका फोन नहीं लग रहा था। इसी बीच मीडिया में आ रही लगातार खबरों से पता चला के मेरे पति का नाम भी फुलवारीशरीफ के केस में जोड़ दिया गया है और 15 जुलाई के शाम में ही पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था और गिरफ्तारी की कोई सूचना अबतक नही दी गई है। 15 जुलाई को गिरफ्तार कर लेने के बावजूद 16 जुलाई को पुलिस हमारे घर आकर छापेमारी करती है।

उनको एक दिन गैरकानूनी तरह से पुलिस कस्टडी में रखा गया। पुलिस उनसे जबरदस्ती 16 तारीख के अरेस्ट मेमो पर दस्तखत लेना चाह रही थी लेकिन तारीख गलत होने पर उन्होंने दस्तखत नही किया। फिर सीधा 17 जुलाई उनको पटना के अदालत में पेश किया गया और 16 जुलाई को उनको कही भी पेश नही किया गया। 17 जुलाई को पेशी पर उनको बेल न देकर न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है।

गुलनाज ने कहा कि मेरे पति को फुलवारी शरीफ थाना के (एफआईआर सं.137/22) में गलत फंसाया गया है। वो हमेशा समाज सेवा के काम में लगे रहते हैं और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है। वो वर्ष 2020 में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, बस इसी कारण उनको इस केस में झूठे तरह से फंसाया जा रहा है।

साथ ही लिखा है कि आज किसी तरह पता चलने पर जब हम फुलवारी शरीफ जेल में उनसे मिलने पहुंची तो हमलोग को उनसे मिलने में बहुत कठिनाई हुई। सुबह 8 बजे पहुंचने के बावजूद हमको उनसे सबसे अखरी में 12 बजे के आसपास मिलने दिया गया और मुलाकात के समय भी उनके साथ एक पुलिस वाला खरा था कहने पर भी वो वहा से नहीं हटा और जल्दी जल्दी कर के हमलोग को सही से बात करने भी नहीं दिया गया।