- पंचमवेद नाट्य महोत्सव में 9 अप्रैल 2022 को लोक पंच की प्रस्तुति "जोरू का गुलाम"
- गीत-संगीत और हास्य से भरपूर नाटक जोरू का गुलाम संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से प्रस्तुत किया गया
- *कथासार*
अनगिनत लोग अपने हसीन ख्वाब लिए रोजी-रोज़गार, तालीम और बेहतरीन कल की खातिर गांव से पलायन कर शहर में आ बसते हैं। लेकिन शहर की संस्कृति और मिज़ाज, गांव की संस्कृति और मिज़ाज से बिल्कुल अलग होती है। यहां तक कि शहर की आबो हवा इंसान की फितरत तक बदल डालती है। खासकर अजीबो गरीब हालात तो तब पैदा होते हैं, जब ऐसे लोग ना पूरी तरह गांव के रह पाते हैं और ना ही शहर के।
मिलिए ऐसे ही एक परिवार से जिसमें 3 जने रहते हैं, मियां, बीवी और साला। मियां परेशान है अपनी दबंग बीवी और आफत का परकाला अपने साले से, जो हमेशा आग में घी का काम करता है। दोनों ने मिलकर बेचारे का चैन-सुकून छीन रखा है। घर का सारा काम-काज उसी को करना पड़ता है। लेकिन बेचारे का बीवी की धौंस के आगे एक नहीं चलती। आखिरकार एक दिन सपने में ही सही उसे एक ऐसी चमत्कारी किताब मिलती है, जिसमें उसे न सिर्फ ऐसी पत्नी के जुल्मों से छुटकारा पाने की तरकीब मिलती है बल्कि ऐसी पत्नियों को वश में रखने का मंत्र भी मिल जाता है। हालात अब बिल्कुल उल्टे पड़ जाते हैं। पति को रौबदार अवतार में पाकर उसकी पत्नी और भाई हैरत में पड़ जाते हैं। लेकिन सपने तो आखिर सपने ही होते हैं, चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो, उसके टूटते ही उसकी सारी खुशी काफूर हो जाती है।
संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से प्रस्तुत नाटक जोरु का गुलाम, मनोरंजन से भरपूर रहा दर्शकों ने जमकर आनंद लिया।
*पात्र परिचय*
*मंच पर*
जीजा :- रजनीश पांडे
पत्नी :- दीपा दीक्षित
साला :- देवेंद्र चौबे
मिष्टी : उर्मिला यादव
*मंच से परे*
रूप सज्जा एवं ध्वनि संचालन :- अमन आयुष्मान
कॉस्टयूम : उर्मिला, रितिका
प्रॉपर्टी :- रोहित, कृष्णा
प्रकाश : राम प्रवेश
मंच निर्माण : रितिका, अभिषेक
लेखक :- अभिषेक चौहान
निर्देशन :- रजनीश पांडे
प्रस्तुति नियंत्रक एवं डिजाइन : मनीष महिवाल
*लोक पंच की प्रस्तुति*


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