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स्नेहा फाउंडेशन महिला सशक्तिकरण को समर्पित एक सामाजिक संस्था। लेट्स इंस्पायर बिहार अररिया चैप्टर की एक सार्थक पहल




" स्नेहा फाउंडेशन " :: महिला सशक्तिकरण को समर्पित एक सामाजिक संस्था

(लेट्स इंस्पायर बिहार अररिया चैप्टर की एक सार्थक पहल )

हम चांद पर चले गए , मंगल की सैर कर आए , अंतरिक्ष का भी चक्कर लगा लिया पर अभी भी " महिला स्वच्छता व महावारी संक्रमण " जैसे ज्वलनशील मुद्दों पर खुल कर बात करने से कतराते है..!!
गांव की गोरी हो या शहर की पढ़ी लिखी मैनेजमेंट की छात्रा इस मुद्दे पर सबकी राय एक जैसी लगती है!
वज़ह वही पुरानी .!
हमारी बिना किसी ठोस कारण के झिझक..!
वही शरम , वही हया , वही शालीनता और वही शाश्वत औरतपना.!
भले ही इसे " निभाने " में आपकी यूटीआई संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन ) से आपकी मौत ही क्यों न हो जाए ?

आज से ठीक 6 साल पहले जब डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की गलती से मुझे खुद यूटीआई का संक्रमण हुआ और मैं अस्पताल के " रेड लिस्ट पेशेंट " में रखी गई और कई महीनों तक हर तरह की मानसिक , शारीरिक , वित्तीय और सामाजिक पीड़ा से गुज़री तब मुझे अहसास हुआ की इसे रोकना और इसके प्रति आम महिला को जागरूक करना कितना ज़रूरी है.?




ये यूटीआई एक किशोरी के मैट्रिक , इंटर के सेशन का पूरा साल बर्बाद कर सकता है . एक महिला को शारिरिक रूप से इतना तबाह कर सकता है उसे पूरी तरह ठीक होने में और सामान्य दिनचर्या में वापस लौटने में 3-5 महीने तक लग जाये। और तो और अगर गर्भवती महिला को इसका इंफेक्शन हो गया तो गर्भ का नुकसान भी हो सकता है और गर्भस्थ शिशु भी संक्रमित हो सकता है.

इसे रोकने का बस यही मंत्र है की जब भी आस -पास वाशरूम दिखे आप हो आये.! जितनी बार पानी पिये उतनी बार " जाने " की कोशिश करे.जोरों के प्रेशर का इन्तज़ार कतई न करे.बिना प्यास दिन भर में 10 - 12 ग्लास पानी पियें.
और पीरियड्स के दौरान हर तीन-चार घण्टे में सैनेटरी पैड्स को बदलते रहे.! ताकि आप " महावारी संक्रमण " के कहर से बच सके। हर हाल में अच्छे क्वालिटी के सैनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें।

महिलाओं की शारीरिक -स्वच्छ्ता इस देश के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक होनी ही चाहिए ! महत्वपूर्ण विषयों से मतलब खालिस महत्वपूर्ण ...!!

क्योंकि हमारा सामाजिक ताना -बाना ही ऐसा है..!!

इस विषय से आपके मानसिक - स्वास्थ्य का भी उतना ही गहरा रिश्ता है जितने की आपके शारीरिक स्वास्थ्य का. इसे उपेक्षित रखना बहुत ही हास्यापद होगा हम सबके लिए. क्यों की कालांतर में इसके परिणाम भी तो हम सबको ही भुगतने होगे. इसलिए बेहतर होगा की समय रहते इसे विमर्श का मुद्दा बनाया जाए , इस पर समाज के हर वर्गीकृत लोगो के बीच खुली बहस हो. यही एकमात्र विकल्प है इस वर्जित विषय को आम से आम और खास से खास महिला के बीच सहज बनाने का. इन सबमे मीडिया ग्रुप खासकर प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका बेहद आवश्यक है और समय की मांग भी. अखबारों की भूमिका किसी भी जन- जागृति के लिए मौजूदा दौर का सबसे सशक्त माध्यम है. इसलिए यहाँ किसी महत्वपूर्ण मुद्दे को जगह देना उसके निराकरण के रास्ते में अमली जामा पहनाने जैसा ही है. इसे सिरे से मान लेना है ! कोई प्रतिवाद की जरूरत ही नहीं है..!!




वर्ष 2017 में भारत की मानुषी छिल्लर ने जब मिस वर्ल्ड का ख़िताब जीतकर ग्रामीण महिलाओं के बीच जाकर जमीनी स्तर पर माहवारी संक्रमण , मूत्राशय और गर्भाशय संक्रमण रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना शुरू किया तब इससे बड़े पैमाने पर दूर दराज के ग्रामीण महिलाओं के बीच आशा की किरण जगी।
फिर एक फ़िल्म आयी - पैडमैन ..! इसने भी इस तथाकथित विषय पर जन -जागरूकता को बढ़ाया। इन दोनों इवेंट ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर विवश किया की मैं इस विकासशील देश के इस निहायत ही वर्जित विषय पर खुलकर लिखूं , बोलूं और काम करूँ..!!



वर्ष 2018 में मैंने राज्यस्तरीय फैशन शो मिसेज बिहार से प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र लेकर इसी विषय पर ग्रामीण महिलाओं के बीच जन जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया। और दूर दराज के गांवों में जाकर वहां की महिलाओं से इस विषय पर बात की और सैनिटरी पैड्स के फायदे गिनवाने के साथ इसका वितरण किया।
मैंने बहुत करीब से अनुभव किया की माहवारी संक्रमण जैसे विषय पर अभी भी जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है..!! सरकारी अस्पतालों की हालत तो और भी दयनीय है..!!

महिला सशक्तिकरण को समर्पित स्वंयसेवी सदस्यों की सामाजिक संस्था - " स्नेहा फाउंडेशन " ग्रामीण महिलाओं के बीच माहवारी संक्रमण जैसे संवेदनशील विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए संकल्पवान है..! साथ ही इसके लिए हमें एकसमान सोंच के युवाओं का साथ भी चाहिए।

पिछले वर्ष दिनांक 22 मार्च को बिहार दिवस के दिन पूरे बिहार भर में " लेट्स इंस्पायर बिहार " मुहिम शुरू की गई थी। जिसमें समाज के हर तबके के लोगो को शामिल करने का उद्देश्य रखा गया है ;खासकर युवा वर्ग को सबसे ज्यादा। क्योंकि युवावर्ग में असीम शक्ति समाहित है। जरूरत है तो बस उसे सही दिशा देने की। उधमिता ,शिक्षा और समानता को लेकर यह अभियान शुरु किया गया है। इसके तहत बिहार के सभी जिलों में कमेटियां गठित की गई है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज के हर आयु वर्ग के लोगो खासकर युवाओं के बीच शिक्षा ,समानता और उधमिता को बढ़ावा देना है। प्राचीन काल से ही बिहार की एक अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत रही है। यहां समाज के लिए अपना आदर्श प्रस्तुत करने प्रेरणाप्रद व्यक्तित्व की कोई कमी नहीं रही है।

हमारे पास हर प्रकार के साधन और संसाधन उपलब्ध है , बावजूद इसके आज भी हमारा राज्य एक पिछड़े राज्य की गिनती में आता है। जो एक बेहद ही दुःखद स्थिति है। समय आ गया है की हम सब युवाओं को बिहार को एक विकसित राज्य बनाने के लिए समता ,उधमिता और शिक्षा के क्षेत्र में एक साथ मिलकर काम करना है।

गृह ज़िला अररिया के तमाम सक्रिय युवाओं से मेरा यह अनुरोध है की अधिक से अधिक इस अभियान से जुड़कर एक समृद्ध और विकसित बिहार के निर्माण हेतु अपना एक सार्थक योगदान दे। क्योंकि यह अभियान किसी एक व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि पूरे बिहारवासियों का है। बिहार के कोने -कोने तक इस मुहिम को पहुंचाना हमारा लक्ष्य है जो सबके सम्मिलित प्रयासों से ही संभव है।

आज का युवा वर्ग बहुत भाग्यशाली है; क्योंकि वो इंटरनेट क्रांति के उस दौर में है जहां वो ख़ुद को साबित करने के साथ-साथ अपना आंशिक योगदान देकर सामाजिक कार्यों के द्वारा और सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य भटके हुए दिग्भ्रमित युवाओं को प्रेरित कर सकता है।

" लेट्स इंस्पायर बिहार " इस मुहिम को शुरू करने के पीछे एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की अपना बिहार जो कभी विश्व को नेतृत्व करने में सक्षम था उस बिहार के तमाम सांस्कृतिक विरासतों और ऐतिहासिक धरोहरों को फिर से युवाओं के बीच जीवंत किया जाए और उन सबों में नवीन उत्साह का संचार किया जाए।

@ राष्ट्रवादी स्नेहा किरण

( लेखिका पूर्व मिसेज बिहार व ग्लोबल ब्रांड सीमांचल टाइटल विनर रह चुकी है )