न्यूज़ डेस्क। बिहार में शराबबंदी के बाद भी जिस प्रकार शराब का धंधा और सेवन चोरी-छिपे चरम सीमा पर है उस पर नकेल कसने नीतीश सरकार ने कड़क माने जाने वाले आईएएस ऑफिसर केके पाठक को कमान सौंपी है।
केके पाठक के बिहार वापसी से शराब माफियाओं में खलबली मच गई है अपने काम पर पूरा भरोसा और जनूनी माने जाने वाले केके पाठक को कल ही नीतीश कुमार ने मद्य निषेध विभाग का प्रधान सचिव विभाग के अपर मुख सचिव के पद पर पदस्थापित किया है। 2016 में भी के के पाठक को इसी विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इन्हें इनके पद से हटा दिया गया था,उस समय प्रधान सचिव बनने के बाद बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी लागू हो गई थी लोग शराब पीना तो दूर शराब के नाम से भी डरने लगे थे।
फिलहाल ही में जिस तरह ज़हरीली शराब से बिहार में कई मौते हुई इन कारणों से भी मौजूदा सरकार की काफ़ी फजियत हुई, इस कारण भी नीतिश सरकार ने शराब माफियाओं के खिलाफ अब जंग छेड़ दी है।
उस समय केके पाठक बिहार में कई विवादों से घिरे थे, 2019 में केशव कुमार पाठक उस समय सुर्खियों में आए जब एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के निर्देशक ने लाठी से पिटाई और रिवाल्वर से जान मारने की धमकी देने का आरोप उन पर लगाया था।
इसके बाद भी इन पर आरोप खत्म नहीं हुआ एक अन्य मामले में पटना हाईकोर्ट ने इनपर जुर्माना लगाया था, यह मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक साथ सात ब्रांच मैनेजरों पर एफआईआर दर्ज करवाने का था, मामला स्टैंप ड्यूटी देर से जमा करने को लेकर हुआ था। गोपालगंज में भी डीएम रहते हुए केके पाठक ने अपने कड़े रवैया के कारण खूब सुर्खियां बटोरी थी । उस समय की मौजूदा सरकार के दबाव में आकर आखिरकार उन्हें सचिवालय में बुलाना पड़ गया था।
इनके इसी कड़े रवैये को देखते हुए नीतीश सरकार ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए अधिसूचना जारी करते हुए कमान इस ऑफिसर को सौंपी है। अब देखना है आने वाले समय में क्या शराबबंदी बिहार में पूर्ण रुप से कामयाब होती है या नहीं।


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