भाकपा माले लिबरेशन के रोहतास जिला सचिव नंदकिशोर पासवान
सासाराम | जिला संवाददाता
किसान-मजदूर आंदोलन के सामने केंद्र की मोदी सरकार घुटने टेकने को मजबूर हुई। पीएम मोदी ने पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी संभावित हार को मद्देनजर रखते हुए किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की। उक्त बातें भाकपा माले लिबरेशन के रोहतास जिला सचिव नंदकिशोर पासवान ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार की नासमझी के चलते सबसे लंबे आंदोलन का विश्व स्तर पर इतिहास रच दिया गया। जो भविष्य में मोदी सरकार की तानाशाही रवैये की याद दिलाता रहेगा।
जिला सचिव ने कहा कि देश के किसान-मजदूर, छात्र-नौजवान, आम अवाम फासिस्ट मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए कमर कस चुकी है। और अब जनता मोदी-शाह की जुमलेबाजी में नहीं फंसेगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का फैसला तो किसान लेंगे। लेकिन देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने की हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इसी के साथ जिला सचिव ने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिये जाने की मांग की है।
इधर सीपीएम के जिला सचिव मदन किशोर सिन्हा, सीपीआई नेता अजय कुमार सिंह व सुनिल सिंह ने कानून वापस लिए जाने के सरकारी घोषणा को किसानों, मजदूरों की जीत बताई है। कांग्रेस, राजद समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी आंदोलन की जीत के लिए किसान नेताओं व संगठनों को बधाई दी है।

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