प्रशांत प्रकाश की रिपोर्ट
मकर संक्रांति पर्व में महज एक सप्ताह बचा हैं. ऐसे में पूर्व की आहट के साथ जंदाहा बाजार में तिलकुट की दुकानें गुलजार हो चुकी हैं, यही नही तिलकुट की मीठी-मीठी खुशबू लोगो को अपने और खिने भी लगी हैं।
वैश्विक माहमारी कोरोना वायरस से छिड़ी जग के बीच इस पर्व को लेकर जंदाहा बाजार में अब पहले जैसी रौनक दिखाई पड़ रहीं। जंदाहा बाजार में जगह-जगह छोटे-बड़े दुकानों के साथ-साथ ठेलो पर तिलकुट, लाई, मुरब्बा की बिक्री हो रही हैं, वहीं दुकानों में रंग-बिरंगे पतंग भी देखने को मिल रहे है।
इन सब के बीच जंदाहा में कई जगह तिलकुट और तिलबा बनाने का काम भी चल रहा हैं, जंदाहा के निम चौक पिछले कई वर्ष से मकर संक्रांति के मौके पर तिलकुट बनाने का काम चलता हैं, वहाँ काम कर रहें श्रमिको ने बताया कि वे अरवल जिले के बैदराबाद से आये हैं और पिछले करीब 15 सालों से वह बिहार के कई हिस्सों में जाकर तिलकुट निर्माण का काम करते हैं, उन श्रमिकों में से कोई तिलकुट की कुटाई का काम जनता है तो कोई उसके सामग्री को सही अनुपात में मिलने का तो कोई उसे आकर देता हैं, कुल मिलाकर कहे तो सभी लोग अलग-अलग गुण के माहिर है।
तिलकुट के प्रकार भी कई थी, किसी तिलकुट में खोया भरता है तों कोई सादा, इसके अलावा रबड़ी, सफेद तिल, कला तिल.. अगर बात इनके दामों की कर ले तो गुणवत्ता के हिसाब से इनके दाम भी अलग-अलग हैं।
कुल मिलाकर कहें तो 8 महीने बाद ही सही मकर संक्रांति में मौके पर एक बार फिर जंदाहा बाजार में रौनक लौटती हुई दिख रहीं, और हम भी लोगो से यही अपील की कोरोना को लेकर सरकार द्वारा जारी सभी गाईड लाईनस का पालन करते हुए सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाये ताकि बाजार का ये रौनक सैदव बना रहे।
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