मधुबनी नगर से फिरोज आलम की रिपोर्ट।
सदर अस्पताल में जिंक कॉर्नर पोषण परामर्श केंद्र की हुई स्थापना
- जिंक कॉर्नर में 24 घंटे ओआरएस का घोल और जिंक सिरप रहेगा उपलब्ध
- पोषण परामर्श केंद्र में प्रधानमंत्री मातृत्व योजना और मुख्यमंत्री कन्या योजना के लाभार्थी का ऑन द स्पॉट किया गया निष्पादन
शिशु को डायरिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सशक्त दस्त नियंत्रण पखवाड़ा (इंटेंशिफाईड डायरिया कंट्रोल फोर्टनाइट - आईडीसीएफ) का बुधवार को जिला अस्पताल से सुभारम्भ किया। जिला अस्पताल में जिंक कॉर्नर (डायरिया वार्ड) एवं पोषण परामर्श केंद्र बनाया गया। जिसका उद्घाटन एसीएमओ डॉ सुनील कुमार एवं आईसीडीएस डीपीओ डॉ रश्मि वर्मा ने संयुक्त रूप से किया। कॉर्नर में दो माह से पांच वर्ष आयु के शिशु को 24 घंटे ओआरएस का घोल और जिंक सीरप उपलब्ध कराया गया है।16 सितंबर से 29 सितंबर तक यह आईडीसीएफ मनाया जाएगा। बच्चे के परिजनों को जिंक कॉर्नर पर डायरिया की रोकथाम की पूरी जानकारी दी जाएगी। वहीं सदर अस्पताल परिसर में पोषण परामर्श केंद्र भी स्थापित किया गया है।
- आशा अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर करेंगी जागरूक
डॉ विश्वकर्मा ने बताया कि अभियान के दौरान आशा अपने पोषक क्षेत्र के बच्चों के परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना व इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ बताएंगी। वह साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी भी देंगी। लोगों को बताया जाएगा कि जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाए। दस्त बंद हो जाने के बाद भी जिंक की खुराक दो माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाए। जिंक और ओआरएस के उपयोग के बाद भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भेजन जारी रखा जाए। बच्चों की उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जाएगा। पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करने के बारे में बताया जाएगा।
-निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी है शिशु की मृत्यु का कारण
एसीएमओ डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस व जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवारे के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया की रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण व समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जाएगा।
- ना होने दें पानी की कमी
दस्त का सबसे खतरनाक पहलू है पानी की कमी होना और अगर इसका समय पर इलाज न हो तो शिशु को अस्पताल भी ले जाना पड़ सकता है। शरीर के खोए हुए तरल पदार्थों की फिर से पूर्ति करना, दस्त के इलाज का पहला कदम है। यदि शिशु उल्टी किए बिना दूध या फॉर्मूला दूध पी रहा है, तो उसे अक्सर दूध पिलाते रहें। थोड़े बड़े शिशु को पानी के छोटे–छोटे घूंट, इलेक्ट्रोलाइट घोल, या नमक–चीनी का घोल (ओ.आर.एस.) दिया जा सकता है। ताज़ा नारियल पानी भी इलेक्ट्रोलाइट्स का एक समृद्ध स्रोत है। अपने शिशु को समय–समय पर नारियल का पानी पिलाते रहें।
- परामर्श केंद्र में शिशु, गर्भवती महिला, किशोरियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर दिया जाएगा जोर
वही राष्ट्रीय पोषण माह के तहत पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना सदर अस्पताल में की गयी। जिसका उद्घाटन एसीएमओ डॉ सुनील कुमार एवं डीपीओ डॉ.रश्मि वर्मा ने किया। इस मौके पर डीपीओ ने कहा कि जिला में कुपोषण को दूर करने के लिए सामुदायिक सहभागिता को जोर दिया जा रहा है। आमजन में पोषण के प्रति नजरिया व उनके रोजाना के व्यवहार में बदलाव लाने के मद्देनजर पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना की गयी है। पोषण परामर्श केंद्र की मदद से माता- पिता अपने शिशुओं के बेहतर पोषाहार व बच्चों में कुपोषण की स्थिति की जानकारी ले सकते हैं। पोषण माह के दौरान पोषण परामर्श संबंधी कार्यों को प्रमुखता दी गयी है। डीपीओ ने बताया पोषण परामर्श केंद्र की मदद से शिशुओं, बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं व धात्री माताओं को आवश्यक पोषण की जानकारी प्राप्त करने में काफी सुविधा होगी।
पोषण संबंधी जानकारियां प्राप्त कर इसका इस्तेमाल वे अपने रोजमर्रा की रसोई में खाना पकाने की गतिविधियों में शामिल कर सकेंगी। कुपोषित बच्चों के माता पिता पोषण परामर्श केंद्र से विभिन्न प्रकार के भोजन में मौजूद उच्च खनिज पदार्थों के लाभ के बारे में जानकारी हासिल कर अपने बच्चों की सेहत बनाने में उपयोग कर सकेंगी। वही डीपीओ डॉ.रश्मि वर्मा ने बताया पोषण परामर्श केंद्र पर मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना एवं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लाभार्थी का ऑन द स्पॉट निष्पादन किया जाएगा। मौके पर गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ एस. पी. सिंह, संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर आरके सिंह, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राजीव रंजन,यूनिसेफ एसएमसी. प्रमोद कुमार झा, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद, पोषण अभियान के जिला समन्वयक स्मित प्रतीक सिन्हा, पीएमएमवीवाई के जिला समन्वयक अंजनी कुमार झा, पीएमएमवीवाई के जिला कार्यक्रम सहायक शिवराम मेहरा, कोल्ड चैन मैनेजर अनिल कुमार, चंचल कुमार आदि उपस्थित थे।