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बावजूद राजनीतिक सम्पनता के 1977 में गठित बाबूवरही विधानसभा क्षेत्र विकास को लालायित

 

कपिलदेव कामत, मंत्री पंचायती राज विभाग

 आर एन न्यूज के लिए मधुबनी - लदनियां से हरिश्चन्द्र यादव की रिपोर्ट ।

 34 बाबूवरही विधानसभा जिले में राजनीतिक रूप से सम्पन्न मानी जाती रही है। राजनीतिक रूप से समृद्ध यह विधानसभा गांधीवादी नेता पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष देवनारायण यादव की जन्मभूमि व कर्मभूमि रही है। एक साथ यहां के कई राजनीतिक कार्यकर्ता व नेताओं को विधानसभा व विधान परिषद पहुंचकर जनता की सेवा का अवसर मिलता रहा है। सम्प्रति यहां के तीन लाल कपिलदेव कामत, लक्ष्मेश्वर राय व विनोद नारायण झा एक साथ बिहार मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसी धरती के रामलषण राम रमण कई विभाग के मंत्री रहे हैं। गुणानंद झा को भी मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। यही कारण है कि इस जिले की राजनीति पर हमेशा बाबूवरही विधानसभा का दबदबा महसूस किया जाता रहा है। आजादी के बाद जिला बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर काबिज होकर चुनावी राजनीति की शुरुआत करने वाले गांधीवादी नेता देवनारायण यादव ने विधानसभा अध्यक्ष पद तक की यात्रा तय की।

विनोद नारायण झा, मंत्री पीएचईडी

बाबूवरही विधानसभा की धरती समाजवादी व वामपंथी आन्दोलनों का गढ़ मानी जाती रही है। बाबूवरही विधानसभा के रूप में 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से विशेषत: समाजवाद से उपजे दो दलों राजद व जदयू का कब्जा रहा है। इसबार के चुनाव में भी इसी दोनों दलों के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं। इस विधानसभा का 1977 में हुए गठन के बाद विगत दस चुनावों को गवाह के तौर पर प्रस्तुत कर परखा जाय, तो बेरोजगारी यहां की मुख्य समस्या दिखेगी। इसबार के चुनाव में इसके अतिरिक्त शिक्षा में आयी गिरावट, गागन, कमला, सिंचाई साधन की कमी, त्रिशूला, बलान, सोनी आदि नदियों में आने वाली बाढ़ की रोकथाम, खाजेडीह स्थित अपूर्ण, स्टेडियम, अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी, कृषि क्षेत्र में धीमी गति से हो रहे विद्युतीकरण जैसी समस्याएं मुद्दा बनकर सामने आएगी। देखना दिलचस्प होगा कि जनता इसके लिए किसको जवाबदेह मानती है।

लक्ष्मेश्वर राय, मंत्री आपदा प्रबंधन विभाग