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रंगकर्मी राजीव रंजन झा को मिला इस वर्ष का प्रवीण स्मृति सम्मान, मिथिला के हास्य रस से सरावोर अतिथि देवो भवः नाटक का हुआ मंचन।




  • रंगकर्मी राजीव रंजन झा को मिला इस वर्ष का प्रवीण स्मृति सम्मान।
  • मिथिला के हास्य रस से सरावोर अतिथि देवो भवः नाटक का हुआ मंचन।
  • कला जगत के लिए सम्मान सबसे अनमोल धरोहर : हरजोत कौर।
  • प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से प्रवीण स्मृति सम्मान समारोह का हुआ आयोजन।

पटना। रॉकस्टार नाम से प्रसिद्ध सहरसा निवासी युवा रंगकर्मी राजीव रंजन झा को वर्ष 2025 का प्रवीण स्मृति सम्मान मंगलवार शाम प्रेमचंद रंगशाला में प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से आयोजित प्रवीण स्मृति सम्मान समारोह के अवसर पर प्रदान किया गया। रंगकर्मी राजीव को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व समाज कल्याण विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर के हाथों 25 हजार की राशि व प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। 




इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी नीलेश्वर मिश्रा एवं विनोद अनुपम भी मौजूद रहें। मंच संचालन रंगकर्मी कुमार विमलेंदु ने किया अपने संबोधन में हरजोत कौर ने कहा कि कला जगत में सम्मान का एक अलग ही महत्व होता है। कोई भी सम्मान आपको और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। कौर ने रंगकर्मी प्रवीण की याद में दिए गए इस सम्मान के महत्व पर भी प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने नाट्य संस्था प्रवीण सांस्कृतिक मंच के निदेशक विज्येंद्र टॉक एवं उनके सभी सहयोगी कलाकारों की इस आयोजन के लिए सराहना की। 




प्रवीण सांस्कृतिक मंच के निदेशक विज्येंद्र टॉक ने बताया कि रंगकर्मी प्रवीण की स्मृति में प्रति वर्ष यह सम्मान किसी होनहार व प्रतिभाशाली युवा रंगकर्मी को उनके रंगकर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय व प्रशंसनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता रहा है। उन्होंने आगे बताया कि रंगकर्मी प्रवीण थियेटर जगत का एक अविस्मरणीय नाम रहा है, जिसके रंगकर्म को कभी भूला नहीं जा सकता। इस वर्ष सम्मान पाने वाले राजीव रंजन झा मूलरुप से जिला सहरसा के सोनवर्षा प्रखंड अंतर्गत सुप्रसिद्ध बड़गांव निवासी हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान मेरे लिए मेरे रंगकर्म की असली कमाई है। यह सम्मान पाकर मुझे हर्ष की अनुभूति के साथ ही भविष्य में और बेहतर करने की एक नई चुनौती सामने है। इस अवसर पर मंच पर राजीव रंजन झा के निर्देशन में नाटक अतिथि देवो भवः का मंचन भी किया गया।




अतिथि देवो भवः नाटक हरिमोहन झा द्वार रचित हास्य कहानियों का कोलाजरुपी रंगमंचीय प्रस्तुति है। कथा में पाहुन हास्य रस से सरावोर घटना का बहुत ही दिलचस्प और मनोरंजक स्थिति है। जहां रात्रि के समय तेज बारिश में चार अतिथि एक प्रोफेसर साहब के घर आते हैं, जो कि पटना के किसी कॉलेज में प्रोफेसर के साथ हॉस्टल सुप्रीटेंडेंट के पद पर कार्यरत होते हैं। उनके हॉस्टल में अचानक अपना अतरंगी परिचय देने के साथ उनके यहां रात्रि विश्राम के उद्देश्यद्दे से ठहरते हैं। उसके बाद सभी एक दूसरे से कुछ इस कदर मिलते हैं कि ठहाकों का दौर चलता है। 




मंच पर पात्रों में :

प्रोफेसर व आदमी - राजीव रंजन झा
चौधरी जी व रामटहल - संतोष कुमार
दिंगबरनाथ व मलंगबा - निर्भय कर्तव्य
बाबाजी - गजेंद्रनाथ - तरुण झा
कुली व ब्रजेंद्रनाथ - आशुतोष कुमार झा
भीमेंद्रनाथ - मायानंद झा
कुली - केशव कुमार

मंच परे :

मुकेश झा, रितिका,विक्रमादित्य, संजय सिंह राठौर, संजीव यादव, साकेत गौतम।