- विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर 10 से 16 सितंबर तक विशेष जागरूकता सप्ताह
- कारणों की खोज व निदान संबंधी उपायों की मजबूती से आत्महत्या के मामलों पर नियंत्रण संभव
अररिया, 13 सितंबर ।
Son of Simanchal Gyan Mishra
दुनियाभर के देशों में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस मामले में भारत भी पीछे नहीं है। ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर चौथे मिनट आत्महत्या की एक घटना घटित होती है। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भी छात्रों में हर वर्ष आत्महत्या की बढ़ती दर पर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुका है। गौरतलब है कि आत्महत्या 15 से 24 साल के युवाओं की मौत के दूसरे सबसे बड़े कारणों में शामिल है। आत्महत्या संबंधी मामलों की रोकथाम संबंधी उपायों की मजबूती के लिये हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन किया जाता है।
इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 10 से 16 सितंबर के बीच विशेष जागरूकता सप्ताह आयोजित किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस क्रम में विभिन्न स्कूल, मंडल कारा सहित विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में जागरूकता संबंधी विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को मंडल कारा अररिया अधीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर के निर्देश पर उपाधीक्षक कुंदन सिंह की अगुआई में मंडल कारा में जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। इसमें कारा के अधिकारी व कर्मियों सहित बड़ी संख्या में कारा के कैदी मौजूद थे।
आत्महत्या किसी कारण का समाधान नहीं -
जागरूकता शिविर में भाग लेते हुए सदर अस्पताल में कार्यरत साइकोलॉजिस्ट शुभम कुमार ने बताया कि आत्महत्या का विचार बार-बार मन में आने पर किसी मनोवैज्ञानिक का परामर्श जरूर लें। ऐसे व्यक्तियों को अपनों से संवाद जारी रखनी चाहिये। सकारात्मक सोच व धैर्य रखना जरूरी है। वैसी स्थितियों पर ध्यान दें जो आपके नियंत्रण में हो। अपने शौक को पूरा करें। परिवार के साथ समय व्यतित करें। बच्चों के साथ खेलें। इस तरह के व्यवहार किसी व्यक्ति के अवसाद को कम करने में सहायक है। वहीं मंडल कारा के उपाधीक्षक कु्ंदन सिंह ने कहा कि आत्महत्या किसी समस्या का निदान नहीं। जटिल परिस्थियों में भी खुद पर विश्वास रखें। स्वस्थ जीवनशैली व सकारात्मक सोच से जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी समस्या को आसानी से मात दी जा सकती है।
आत्महत्या करने वालों में होते हैं कुछ सामान्य लक्षण-
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि आत्महत्या ऐसा व्यवहार जिसमें व्यक्ति स्वयं का जीवन समाप्त कर लेता है। पहले व्यक्ति के मन में बार-बार आत्महत्या का विचार आता है। फिर वो आत्महत्या का प्रयास करता है। आत्महत्या के सभी प्रयास सफल नहीं होते। बार-बार मरने की इच्छा व्यक्त करना, निराशावादी सोच प्रकट करना, उच्चस्तर पर दोष भाव, असहाय महसूस करना, स्वयं को मूल्यहीन समझना, अचानक व्यवहार व दिनचर्या में बदलाव, नशा का अत्यधिक सेवन, परिवार व मित्रों से दूरी, स्वयं को खत्म करने के अवसर व साधन तलाशने जैसे लक्षणों के आधार पर ऐसे व्यक्तियों की आसानी से पहचान की जा सकती है।
कारणों की पहचान व निदान से मामले पर नियंत्रण संभव --
दैनिक जीवन से जुड़ी बहुत सारी परेशानी व दिक्कतें कमजोर मानसिकता वाले लोगों को आत्महत्या के लिये प्रेरित करती है।
सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि आर्थिक तनाव, सामाजिक अलगाव, प्रियजनों से दूरी, स्वस्थ मनोरंजन की कमी, नौकरी छूटना, सामाजिक व धार्मिक क्रियाकलापों से दूरी, घरेलू कलह, अनिश्चितता का भय, मानसिक विकार, अनुवांशिकता सहित ऐसे कई कारण हैं जो कमजोर मानसिकता वाले लोगों को आत्महत्या के लिये प्रेरित करता है। इन कारणों की पहचान कर इसके निदान संबंधी उपायों की मजबूती आत्महत्या के मामलों को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकती है।