न्यूज़ डेस्क। हर साल बकरीद आने से पहले देशभर में कुर्बानी के बकरों की कीमतें आसमान छूने लगती हैं। उन्हें खरीदने के लिए बड़ी-बड़ी बोलियां लगती हैं। कीमत हजारों में नहीं, लाखों में जाती है।
वो भी एक-दो लाख नहीं 10 लाख, 20 लाख रुपये तक में बकरे खरीदे जाते हैं। लेकिन कुछ समय पहले एक बंदे ने अपने बकरे को बकरीद से पहले एक करोड़ से भी ज्यादा की कीमत में बेचने का एलान कर सबको चौंका दिया था।
क्यों?
क्योंकि उसका दावा था कि उसके बकरे के शरीर पर 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' लिखा है। इस तरह के दावे कर पहले भी कुर्बानी के बकरे बेचे जाते रहे हैं और इसकी खबरें भी बनती रही हैं। ये बकरा भी बिकता तो खबरें बनतीं। लेकिन अब खबर बकरे के बिकने की नहीं बनेगी, क्योंकि वो बिका ही नहीं।
कैसे?
वो ऐसे कि बकरीद आने से पहले ही बकरा मर गया। उसका मालिक उसे एक करोड़ 12 लाख 786 रुपये में बेचना चाह रहा था। इसके लिेए उसे खूब खिला-पिला कर उसका वजह 100 किलो तक कर दिया था। लेकिन बकरीद से कुछ दिन पहले बकरे ने दम तोड़ दिया।
बकरे पर 'अल्लाह-मोहम्मद' लिखा होने का था दावा :
एक मीडिया से जुड़े मिथिलेश कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिला स्थित अंबरनाथ कस्बे के निवासी शकील शेख से जुड़ा है। इन्होंने पिछली बकरीद पर 12 लाख रुपये में कुर्बानी का बकरा बेचा था। इसके उनकी उम्मीदें बढ़ गईं और इस बार वो कई गुना ज्यादा कीमत पर बकरा बेचना चाह रहे थे।
कपड़े बेचकर घर चलाने वाले शकील को बकरा पालने का बड़ा शौक़ है। डेढ़-दो साल पहले उनकी एक बकरी ने बच्चा दिया। शकील ने इस बकरे का नाम 'शेरू' रखा। बचपन से ही शकील ने उसकी अच्छे से देखभाल की। रिपोर्ट के मुताबिक शकील दावा किया करते थे कि इस बकरे की गर्दन के पास जन्म से ही उर्दू में 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' शब्द लिखे हुए थे। उनका मतलब था कि बकरे के शरीर पर धब्बे का पैटर्न ऐसा था जिसे देखकर लगता था कि 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' लिखा हुआ है। शकील लोगों को चौतरफा दिखा-दिखा कर ये दावा करते थे।
बकरे का वजन बढ़ाने के लिए शकील उसे रोज सुबह-शाम सेब, अंगूर, बजरी, मक्का, चना, काजू बादाम जैसी चीजें खिलाते थे। इसका नतीज भी देखने को मिला। शेरू का वज़न 100 किलो हो गया। अब शकील को उम्मीद थी कि वो शेरू को बहुत बड़ी रकम में बेच सकते हैं। उन्होंने 29 जून को आने वाली बकरीद से पहले शेरू को 1 करोड़ 12 लाख 786 रुपये में बेचने का बात की थी। सोचा था कि उसके गले पर 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' लिखा हुआ है, तो कोई न कोई मुंहमांगी कीमत दे ही देगा।
लेकिन इससे पहले ही शेरू को कोई बीमारी हो गई। शकील ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की। बताया जा रहा है कि शकील दिन को 2000 रुपये सिर्फ शेरू की दवाइयों पर खर्च कर देते थे। पर शेरू की जान नहीं बची। उसकी मौत के साथ ही शकील का एक सपना भी टूट गया। रिपोर्ट के मुताबिक शकील ने बताया कि एक करोड़ रुपये में शेरू को बेचकर वो अपने गांव में एक स्कूल बनाना चाहते थे।