- जच्चा व बच्चा की सुरक्षा व सेहतमंद जिंदगी के लिये संस्थागत प्रसव जरूरी
- सरकारी संस्थानों के सुविधा संपन्न होने के बाद संस्थागत प्रसव पर बढ़ा है लोगों का भरोसा
अररिया, 02 फरवरी ।SON OF SIMANCHAL GYAN MISHRA
सुरक्षित प्रसव के लिये संस्थागत प्रसव का होना बहुत जरूरी है। संस्थागत प्रसव यानि चिकित्सा संस्थानों में प्रशिक्षित व सक्षम स्वास्थ्य कर्मियों के पर्यवेक्षण में एक बच्चे को जन्म देना। जहां प्रसव से जुड़ी तमाम जटिलताओं से निपटने व माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिये बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों। घरेलू प्रसव की तुलना में संस्थागत प्रसव जच्चा-बच्चा के बेहतर देखभाल के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने व मां व बच्चे बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह जरूरी है। बीते कुछ सालों में जिले के सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के विकास के कारण संस्थागत प्रसव के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
संस्थागत प्रसव पर बढ़ा है लोगों का भरोसा :
एनएफएचएस 05 की रिपेार्ट के मुताबिक जिले में प्रसव संबंधी 66.2 फीसदी मामले संस्थागत रूप से निपटाये जा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी स्वास्थ्य इकाईयों में निर्बाध प्रसव सेवाएं प्रदान की जाती रही हैं। अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद ने बताया कि बीते जनवरी माह में कोरोना संक्रमण के तीव्र प्रसार के बावजूद सदर अस्पताल अररिया में प्रसव संबंधी कुल 1265 मामले निष्पादित किये गये। इसमें प्रसव संबंधी 34 मामलों में ऑपरेशन की मदद लेनी पड़ी। इस दौरान परिवार नियोजन के 214 मामले निपटाये गये। सामान्य प्रसव के बाद 24 व प्रसव के सात दिन के उपरांत परिवार नियोजन के 22 मामले निष्पादित किये गये हैं।
सभी प्रमुख स्वास्थ्य इकाईयों में प्रसव सेवा उपलब्ध :
जिले में सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल फारबिसगंज, रेफरल अस्पताल जोकीहाट, रानीगंज सहित जिले के सभी पीएचसी में प्रसव सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न प्रखंडों के लगभग 22 हेल्थ वैलनेस सेंटरों पर भी प्रसव संबंधी जरूरी सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने बताया कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रसूति गृह व ऑपरेशन कक्ष में देखभाल में गुणात्मक सुधार के उद्देश्य से हाल ही में लक्ष्य कार्यक्रम का संचालन शुरू किया है। इसके तहत प्रसूति कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, व प्रसुति संबंधी गहन देखभाल इकाईयों आईसीयू में गर्भवती महिला व नवजात के विशेष देखभाल संबंधी तमाम इंतजाम सुनिश्चित कराया जाना है। गौरतलब है कि सदर अस्पताल पूर्व में राज्य स्तर से लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त कर चुका है।
जल्द ही सदर अस्पताल को केंद्रीय स्तर पर प्रमाणीकरण प्राप्त होने की उम्मीद है। इधर नये सिरे से फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल, भरगामा, पलासी व रानीगंज पीएचसी को भी लक्ष्य प्रमाणीकरण के अनुरूप तैयार करने की कवायद जिले में शुरू हो चुकी है।
संस्थागत प्रसव के हैं कई लाभ :
अस्पताल के प्रसव के प्रभारी पदाधिकारी डॉ जितेंद्र कुमार ने बताया कि प्रसव के लिए अस्पताल आने पर माताएं खुद को बेहद सुरक्षित महसूस करती हैं। विशेष परिस्थितियों में जच्चा व बच्चा की सेहत पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अस्पताल में प्रसव के बाद प्रसूति को आर्थिक सहायता के रूप में ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूति को 1400 रुपये व शहरी इलाके की प्रसूति को 1000 रुपये आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर प्रसूति को 2000 व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर आर्थिक सहायता के रूप में 3000 रुपये दिये जाने का प्रावधान है। संस्थागत प्रसव से बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाने संबंधी जटिलता भी खत्म हो जाती हैं।
एएनएम व आशा की भूमिका महत्वपूर्ण :
सिविल सर्जन विधानचंद्र सिंह ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। एएनएम व आशा सामुदायिक स्तर पर हमेशा लोगों के संपर्क में होती हैं। वहीं गर्भवती मां व उसके परिवार को कम से कम चार बार प्रसव पूर्व जांच के प्रेरित करती हैं। इसलिये गर्भधारण से जुड़ी जानकारी सबसे पहले अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं को दिया जाना जरूरी है। ताकि पूरे प्रसव काल के दौरान गर्भवती महिलाओं का समुचित स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करायी जा सके।