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पत्रकारों की हत्या व उत्पीड़न पर सरकार आखिर चूप क्यूं: आइरा कब लागू होगा पत्रकार सुरक्षा कानून। अविलंब जवाब दे सरकार।



अररिया से ज्ञान मिश्रा  की रिपोर्ट  बिहार में लगातार पत्रकारों की हत्या कर अपराधी सरकार को चुनौती दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने कार्रवाई करने के बदले चूपी साध ली है। यहां के पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं। बिहार में आये दिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के इन कलमकार साथियों की हत्याएं हो रही है। पत्रकारों की हत्या एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उक्त बातें अॉल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन{आइरा} के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुमन कुमार मिश्रा ने  एक बयान जारी करके कही। उन्होंने कहा कि बिहार में लगातार पत्रकारों पर हमला कर अपराधी उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं।

 यहां पत्रकारों के अधिकारों का हनन हो रहा है, फिर भी बिहार सरकार मौन धारण किये हुए है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस राज्य में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं उस राज्य में कानून-व्यवस्था की बात करना बेमानी होगी। सूबे के सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन, सासाराम में पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह और समस्तीपुर में पत्रकार ब्रजकिशोर ब्रजेश हत्या कांडके बाद आरा में नवीन निश्चल और बिजय कुमार की हत्या अब तक दर्जनों पत्रकार की हत्या  की कड़ी निंदा करते हुए आइरा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुमन मिश्रा ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर सरकार हत्यारों पर कार्रवाई के लिए अब कितने पत्रकारों की कुर्बानी चाहती है।

 उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार को जबाब देना चाहिए कि आखिर पत्रकारों की लगातार हो रही हत्या पर वे क्यूं चूप हैं! प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुमन मिश्रा ने जोर देकर कहा कि बिहार में पत्रकारों की लगातार हो रही हत्या के खिलाफ अॉल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन अब आरपार की लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी, मृत पत्रकारों के परिजनों को उचित मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, हत्याकांड के मामले स्पीडी ट्रायल चला कर अपराधियों को सजा दिलाने एवं बिहार में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर अॉल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन ने कहा अगर बिहार सरकार हमारी मांगों पर शीघ्र अमल नहीं करेगी तो आइरा बिहार सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन शुरु करेगा।

 प्रदेश अध्यक्ष डॉ मिश्रा ने बिहार में काम करने वाले प्रिंट मिडिया-इलेक्ट्रानिक के सभी पत्रकार साथियों से । सूबे के पत्रकारों से अपने हक और अधिकार की रक्षा के लिए संगठित होने का भी आह्वान उन्होंने किया।मृत पत्रकार के परिजनों को इतने समय के बाद भी आज तक बिहार सरकार के तरफ से कोई मुआवजा नही मिल पाना भी चिंता का विषय है।